Ambedkar Jayanti 2025 : 14 अप्रैल 2025 को देशभर में संविधान निर्माता और सामाजिक न्याय के योद्धा डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। भारत के इतिहास में उनका योगदान न केवल संविधान निर्माण तक सीमित रहा, बल्कि उन्होंने समाज में समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की भावना को जमीनी स्तर तक पहुंचाया।
आज का दिन सिर्फ एक जयंती नहीं, बल्कि एक विचारधारा, एक क्रांति और एक मजबूत आवाज़ को सम्मान देने का दिन है—जिसने सदियों से चले आ रहे सामाजिक भेदभाव को चुनौती दी और बदलाव की इबारत लिखी।
Ambedkar Jayanti 2025 : बचपन से संघर्ष तक का सफर
भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में एक दलित परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें जातीय भेदभाव का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
शिक्षा को अपना हथियार बनाया और उसी के बल पर वे आगे बढ़ते गए। स्कूल में उन्हें बैठने के लिए अलग चटाई दी जाती थी, पानी तक छूने की अनुमति नहीं थी, लेकिन उनके इरादे इतने मजबूत थे कि ये अवरोध भी उन्हें रोक नहीं सके।
Ambedkar Jayanti 2025 : शिक्षा का उजाला
डॉ. अंबेडकर ने एल्फिंस्टन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की और इसके बाद अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से एम.ए. और पीएच.डी की डिग्री हासिल की। इसके बाद वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स गए और वहाँ से डी.एससी की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने कानून की पढ़ाई भी की। वे ऐसे पहले भारतीय थे जिन्होंने इतने उच्च शैक्षिक पद हासिल किए और वह भी तब जब जातीय भेदभाव अपने चरम पर था।
Ambedkar Jayanti 2025 : सामाजिक आंदोलन और संघर्ष
बाबा साहेब ने दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए कई आंदोलन चलाए। 1927 में उन्होंने ‘चवदार तालाब सत्याग्रह’ किया, जहाँ उन्होंने दलितों को सार्वजनिक जलस्रोतों से पानी पीने का अधिकार दिलाया।
उन्होंने ‘महाड़ सत्याग्रह’ और ‘नासिक का कालाराम मंदिर सत्याग्रह’ जैसे आंदोलन से धार्मिक और सामाजिक समानता की मांग को बुलंद किया।
Ambedkar Jayanti 2025 : राजनीति और संविधान निर्माण
स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण की जिम्मेदारी जब डॉ. अंबेडकर को सौंपी गई, तो उन्होंने न सिर्फ कानूनी ढांचे को तैयार किया, बल्कि उसमें हर वर्ग के अधिकारों की रक्षा को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा था: “संविधान उतना ही अच्छा या बुरा होगा, जितना अच्छा या बुरा उसे लागू करने वाला व्यक्ति होगा।”
उन्होंने श्रमिक कानून, महिलाओं के अधिकार और सामाजिक सुरक्षा जैसे विषयों पर भी ठोस कानून बनाए। 1951 में उन्होंने ‘हिंदू कोड बिल’ पेश किया जो महिलाओं को संपत्ति में अधिकार देने का प्रयास था।
Ambedkar Jayanti 2025 : धर्म परिवर्तन और बौद्ध दर्शन
डॉ. अंबेडकर ने 1956 में बौद्ध धर्म अपनाया। उनका मानना था कि जब तक समाज में बराबरी का व्यवहार नहीं मिलेगा, तब तक बदलाव असंभव है। उन्होंने लाखों अनुयायियों के साथ नागपुर में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और सामाजिक स्वतंत्रता की नई राह दिखाई।
Ambedkar Jayanti 2025 : अमर विचार जो आज भी प्रासंगिक हैं
“अगर आप अपने जीवन में सम्मान चाहते हैं तो पहले खुद को शिक्षित करो।”
“जो समाज समानता को नकारता है, वो समाज नैतिकता को भी नकारता है।”
“मैं उस धर्म को मानता हूं जो समानता, स्वतंत्रता और भाईचारा सिखाए।”
Ambedkar Jayanti 2025 : आज क्यों जरूरी हैं अंबेडकर?
आज जब भी हम शिक्षा, अधिकार और सामाजिक न्याय की बात करते हैं, तो डॉ. अंबेडकर का नाम सबसे पहले आता है। उनका जीवन आज भी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सामाजिक भेदभाव और अन्याय के खिलाफ लड़ रहे हैं। उनके सिद्धांत केवल किताबों में नहीं, बल्कि हर उस जगह ज़िंदा हैं जहां इंसाफ की आवाज़ बुलंद होती है।
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