आलोक रंजन की किताब IAS अधिकारियों के लिए प्रेरणा स्रोत, पढ़ें पूरी खबर | Nation One

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि एक कुशल प्रशासक को आम जनता के लिए सदैव उपलब्ध रहकर उनकी समस्याओं का निराकरण एक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि उनकी यह किताब आईएएस सेवा के अधिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और उन विद्यार्थियों के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी, जो आईएएस सेवा को अपना कैरियर बनाने के लिए प्रयासरत हैं।

पुस्तक में आलोक रंजन ने आईएएस में आने के उद्देश्य के बारे में अपने विचार रखते हुए इस कठिन परीक्षा के लिए गुरुमंत्र भी दिया है जो कि विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी। रविवार को आलोक रंजन की पुस्तक ‘मेकिंग अ डिफरेंस द आईएएस एैस अ कैरियर’ का लोकार्पण किया गया।

जयंत कृष्णा पूर्व अधिशासी निदेशक टीसीएस और पूर्व प्रबंध निदेशक राष्ट्रीय स्किल डेवलेपमेंट कार्पोरेशन ने आलोक रंजन के साथ अपने सकारात्मक अनुभवों का विश्लेषण करते हुए कहा कि आलोक रंजन ने अपने सेवाकाल में एक जनसेवक के रूप में कार्य किया और देश व प्रदेश के विकास में महती भूमिका निभायी। उन्होने कहा कि रंजन वास्तविक रूप में एक लोकप्रिय जनसेवक रहे।

पुस्तक के विषय में आलोक रंजन ने बताया कि यह किताब उनकी आत्मकथा नहीं है परन्तु उनके 38 साल के लम्बे सेवाकाल के प्रशासनिक अनुभवों का निचोड़ है। अपने प्रशासनिक अनुभवों के आधार पर कुशल नेतृत्व और सुप्रशासन के मंत्र पाठक के सामने रखे हैं।

उनका कहना है कि आईएएस सेवा का सच्चा उद्देश्य समाज मे बदलाव लाना है और एक आईएएस अधिकारी को निरंतर यह प्रयास करना चाहिए कि किस प्रकार से समाज के शोषित, गरीब व पिछडे़ वर्ग के लोगों को सरकार द्वारा संचालित जनकल्याणकारी योजनाओं से किस प्रकार लाभांवित कराया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं से पात्र लाभार्थियों को पारदर्शिता के साथ अधिक से अधिक लाभ दिलाकर गरीबी स्तर को उपर लाने का प्रयास प्रत्येक नौकरशाह को करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि नौकरशाह के सामने अपने शासकीय दायित्वों को पारदर्शिता एवं निष्पक्षता के साथ निर्वहन करने में काफी चुनौतियांे का सामना अवश्य करना पड़ता है।

परन्तु किसी भी नौकरशाह को अपने शासकीय सेवाकाल में अपने दायित्वों के निर्वहन में कभी भी घबराकर कोई भी अनुचित शासकीय कार्य नहीं करना चाहिए।