
जम्मू में महबूबा के बयान के बाद सियासत गर्म, लालचौक पर बवाल पीडीपी दफ्तर पर फहराया तिरंगा | Nation One
जम्मू : पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा तिरंगे पर दिए गए बयान को लेकर सोमवार सुबह से ही श्रीनगर और पूरे केंद्र शासित प्रदेश का माहौल गर्म है. एक तरफ लालचौक के क्लॉक टावर पर झंडा फहराने पहुंचे भाजपा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया तो वहीं दूसरी ओर एक बार फिर पीडीपी कार्यालय के बाहर भाजपाई तिरंगा लेकर इकट्ठा हो गए.
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के तिरंगे के बयान के विरोध में सोमवार को भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने पीडीपी कार्यालय में तिरंगा फहराया और नारेबाजी की. इससे पहले शनिवार को भी कई प्रदर्शनकारियों ने कार्यालय में तिरंगा फहरा दिया था.
इस दौरान कार्यालय में मौजूद पीडीपी नेताओं के साथ प्रदर्शनकारियों के साथ नोझोंक भी हुई. पीडीपी प्रवक्ता एवं पूर्व एमएलसी फिरदोस टाक ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि कार्यालय पर हमला हुआ है. उनके साथ और पीडीपी के अन्य नेता परवेज वफा के साथ हाथापाई की गई.
आपको बता दें, 14 महीने तक नजरबंद रहने के बाद बाहर आईं पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर घाटी में अलगाववाद को हवा देनी शुरू कर दी है. नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम फारूख अब्दुल्ला के चीन की मदद से 370 बहाल करवाने के बयान के बाद महबूबा मुफ्ती ने भी अपना झंडा वापस न मिलने तक तिरंगा न उठाने का बयान दिया था, प्रेस कांफ्रेंस ने उन्होंने कहा था कि आज के भारत के साथ वह सहज नहीं हैं.
महबूबा ने कहा, आज के भारत में अल्पसंख्यक, दलित आदि सुरक्षित नहीं हैं. यह एक सियासी जंग है जो कि डॉ. फारूक, उमर या सज्जाद लोन अकेले नहीं लड़ सकते और एक साथ होकर भी नहीं लड़ सकते. हमें लोगों का साथ चाहिए. महबूबा ने कहा, आज तक यहां के लोगों का खून बहा और अब हम जैसे लीडरों की खून देने की बारी है. हम हिंसा नहीं चाहते लेकिन, वे हिंसा चाहते हैं.
महबूबा ने कहा, अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भी यहां ऐसे कानून लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई जिससे जम्मू-कश्मीर में लोग हिंसा पर उतर आएं. चाहे वो उर्दू भाषा की बात हो, डोमिसाइल कानून हो या अन्य कानून. जिस दौरान मैं जेल में बंद थी तो मुझे लगता था कि इन लोगों (केंद्र सरकार) ने पीडीपी को खत्म कर दिया लेकिन, बाहर आने पर कार्यकर्ताओं से बात की तो साफ लगा कि हर कार्यकर्ता मुफ्ती साहब के एजेंडे के साथ हैं.