देवभूमि में स्थित है एक ऐसा स्थान, जहां भगवान शिव को मिली थी ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति..

देवभूमि में स्थित है एक ऐसा स्थान, जहां भगवान शिव को मिली थी ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति..

चमोली: उत्तराखंड को यूं ही पूरे विश्व में देवताओं की पवित्र भूमि नही कहा जाता है। यहां के लिए पुराणों में मान्यता है कि उत्तराखंड की इस पवित्र भूमि पर देवाताओं ने वास किया है। इसलिए इसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में कई ऐसे स्थान है जो अपनी चमत्कारिकता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। एक एेसे ही एक स्थान के बारे में हम आपको बताने जा रहे है जहां पिंडदान व तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हम बात कर रहे हैं चमोली जनपद के बदरीधाम स्थित ब्रहमकपाल की। यहां के लिए मान्यता है कि इस स्थान पर पिंडदान व तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए यहां हर साल देश के कोने-कोने से लोग आते है।

देवभूमि में स्थित है एक ऐसा स्थान, जहां भगवान शिव को मिली थी ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति..

इस स्थान के लिए पुराणों में कहा जाता है कि बिहार में गया जी में पितर शांति मिलती है किंतु ब्रह्मकपाल में मोक्ष मिलता है। यहां पर पितरों का उद्धार होता है। इस संबंध में धर्म शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मकपाल में तर्पण करने से पितरों को मोक्ष, मुक्ति मिलती है। यहां पिंडदान व तर्पण करने के बाद श्राद्धकर्म व अन्य जगह पिंडदान की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

भगवान शिव को मिली थी ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति
पुराणों में उल्लेख मिलता है कि एक बार ब्रह्मा जी अपनी मानस पुत्री संध्या पर काम-मोहित हो गए। उनके इस कृत्य को देखकर उनके मानस पुत्र मरीचि और अन्य ऋषियों ने उन्हें समझाने का प्रयास किया। भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से ब्रह्मा जी के सिर को धड़ से अलग कर दिया। तभी से ब्रह्मा चतुर्मुखी कहलाने लगे, क्योंकि इस घटना से पहले उनके पांच सिर थे। तभी एक दिव्य घटना हुई। ब्रह्मा जी का वह पांचवां सिर भगवान शिव के हाथ से जा चिपका और भगवान महादेव को ब्रह्म हत्या का दोष लगा।