News : कुत्तों का आतंक, आधी रात को पोल्ट्री फार्म में घुसे, 330 मुर्गियों को मारा | Nation One
News : आवारा कुत्तों का आतंक बेकाबू होता जा रहा है। ये कुत्ते अब राहगीरों और बच्चों के साथ-साथ व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर भी भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। घटना छत्तीसगढ़ के कवर्धा में शिक्षक नगर की है, जहां चार दिसंबर 2024 की रात आवारा कुत्तों ने देवांगन पोल्ट्री फार्म पर हमला कर 330 मुर्गियों को मौत के घाट उतार दिया।
घटना के समय फार्म में चौकीदारी हो रही थी और कुत्तों को भगाने की कोशिश भी की गई, लेकिन उनकी संख्या इतनी ज्यादा थी कि इन्हें रोकना संभव नहीं हो पाया।
पोल्ट्री फार्म के संचालक शंभू प्रसाद देवांगन ने बताया कि कुत्तों ने फार्म की जालियां तोड़कर अंदर घुसते हुए 330 मुर्गियों को काटकर मार डाला। इन मुर्गियों का वजन लगभग 700 किलो था, जिसकी अनुमानित कीमत 80,000 रुपये आंकी गई है। यह उनके लिए बड़ा आर्थिक झटका साबित हुआ है। घटना के अगले दिन फार्म के कर्मचारियों ने सभी मृत मुर्गियों को संक्रमण फैलने से रोकने के लिए सुरक्षित जमीन में दफन कर दिया।
News : आवारा कुत्तों की समस्या लगातार जारी
कवर्धा में आवारा कुत्तों की समस्या कोई नई नहीं है। शहर के विभिन्न इलाकों में इन कुत्तों का झुंड सड़कों पर खुलेआम घूमता है और राहगीरों के लिए खतरा बन चुका है। बच्चों और बुजुर्गों पर हमले की घटनाएं आए दिन सुनने को मिलती हैं।
इसके बावजूद प्रशासन इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम उठाने में नाकाम रहा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर पालिका ने कुत्तों को पकड़ने या उनकी संख्या नियंत्रित करने के लिए कोई अभियान नहीं चलाया है।
नतीजतन, कुत्तों की बढ़ती संख्या अब व्यापारियों और स्थानीय निवासियों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। लोगों का कहना है कि यह घटना प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि समय रहते इस समस्या का समाधान किया जाए।
News : स्थायी समाधान की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान केवल एनिमल बर्थ कंट्रोल कार्यक्रम के जरिए संभव है। इस कार्यक्रम के तहत कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया जाता है, जिससे उनकी जनसंख्या स्थिर रहती है और आक्रामकता में भी कमी आती है।
अगर प्रशासन यह कार्यक्रम लागू करता है, तो न केवल कुत्तों की संख्या नियंत्रित होगी, बल्कि इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार से फंड भी प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन कवर्धा जिले में अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है।
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