वायु प्रदूषण 2030 तक 60 हजार लोगों की जान लेगा
नई दिल्ली
जलवायु परिवर्तन की समस्या का अगर समय रहते समाधान नहीं हुआ तो वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण से संबंधित मौतों का आंकड़ा 2030 में लगभग 60,000 और 2100 में 2,60,000 तक पहुंचने की आशंका है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
अध्ययन के मुताबिक, गर्म तापमान से रासायनिक प्रतिक्रियाएं तेजी से होती हैं, जो वायु प्रदूषक जैसे ओजोन और कणिका तत्व का निर्माण करती है, जो लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि शुष्क स्थानों को कम बारिश और हवा में धूल के कारण अधिक वायु प्रदूषण का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, जहां पेड़ तापमान में वृद्धि को कम करने में मददगार होते हैं, वह भी अधिक कार्बनिक प्रदूषण का उत्सर्जन करेंगे। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के सहायक प्राध्यापक जैसन वेस्ट ने कहा कि “चूंकि जलवायु परिवर्तन वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है, इससे दुनियाभर के लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इससे हर साल वायु प्रदूषण से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ने की आशंका है।” इस आकलन के लिए शोध दल ने 2030 और 2100 में ओजोन और कणिका तत्वों से होने वाली मौतों की आशंका को निर्धारित करने के लिए कई वैश्विक जलवायु मॉडलों का इस्तेमाल किया था।