कुंभ फर्जी टेस्टिंग मामले में हाईकोर्ट सख्त, कहा जांच घोटाले पर रुख साफ करे सरकार | Nation One
कुंभ कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कुंभ के दौरान कोरोना वायरस की कथित फर्जी जांच घोटाले पर अपना रूख साफ करने के निर्देश दिए।
उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ ने ये निर्देश मामले में मुख्य अभियुक्तों में से एक मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सह मालिक शरत पंत और मलिका पंत द्वारा गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान करने का आग्रह करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।
याचिकाकर्ताओं ने यह दावा करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने वाली है जबकि वे जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि कुंभ मेले में सारी टेस्टिंग व रिपोर्ट का काम हिसार के नालवा लैब द्वारा किए गए थे।
उन्होने बताया कि वे मामले के जांच के लिए अधिकारी के सामने अब तक पांच बार पेश हो चुके हैं और कानून के हिसाब से उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा दी जा सकती है। शरत पंत और मलिका पंत ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर कहा था कि मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज सेवा प्रदाता हैं।
जांच और आंकड़े भरे जाने के दौरान मैक्स कॉरपोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था और सभी जांचें और आंकड़े भरने का काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की सीधी निगरानी में हुआ था। उन्होंने यह भी दावा किया कि कुंभ में स्थापित जांच स्टॉलों को भी मौके पर मौजूद सरकारी अधिकारियों से सीधे अनुमति और मंजूरी मिली थी।
बता दें कि सारी रिर्पोट और फोटेज के अनुसार हरियाणा की नलवा लैब कुंभ मेले के दौरान कोरोना टेस्टिंग और कोरना के आंकड़ों को पोटल पर अपलोड करने का काम कर रही थी। अब सवाल ये उठता है कि उत्तराखंड पुलिस सब कुछ जानते हुए भी नलवा लैब पर कोई कार्यवाई क्यों नहीं कर रही है।
मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज की याचिका के हिसाब से वो बिचौलिया का काम कर रहे थे। रिर्पोट के अनुसार कोरोना टेस्टिंग की सारी जिम्मेदारी डॉ लाल चंदानी और नलवा लैब की थी। अब आगे देखना ये होगा कि इस मामले में कितनी जल्दी सच सामने आता है।