पर्यटकों के हृदय में गोवा का विशेष स्थान : उपराष्ट्रपति | Nation One
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आतिथ्य-सत्कार उद्योग को वैश्विक स्तर पर भारत के सॉफ्ट पावर को बढ़ाने के लिए पर्यटन क्षमता का लाभ उठाने का आह्वान किया। “अतिथि देवे भव” के भारत की अवधारणा की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी संस्कृति, हमारे खानपान तथा विदेशियों के प्रति स्वागत करने की हमारी प्रवृति आगंतुकों को भारत के प्रति आकर्षित करने में सहायता कर सकती है।
राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर स्वामी विवेकानन्द को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उपराष्ट्रपति ने स्वामी जी का उल्लेख किया और युवाओं से उनके गुणों को अपनाने तथा उनके द्वारा दिखाई गई राह पर चलने का आग्रह किया।
इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (आईएचएम), गोवा में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए नायडू ने अर्थव्यवस्था के लिए यात्रा और पर्यटन क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र सबसे अधिक रोजगार सृजन करता है, इस क्षेत्र में 87.5 मिलियन लोग काम कर रहे हैं जो 2018-19 में रोजगार हिस्सेदारी का 12.75 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि महामारी के कारण इस क्षेत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ा। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में कमी आई और रोजगार समाप्त हुए। उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि यह मंदी अस्थायी होगी और आतिथ्य सत्कार उद्योग फिर से सक्रिय होगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्थिति सामान्य होते ही लोग यात्रा करने के उत्सुक होंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि हमारा मजबूत घरेलू पर्यटन बाजार महामारी के विपरीत प्रभाव को उन देशों की तुलना में कम करने में मदद करेगा जो देश पूरी तरह अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों पर निर्भर होते हैं।
उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि कोविड-19 के तुरंत बाद लोग स्थानीय पर्यटन के प्रति दिलचस्पी दिखाएंगे और इससे काफी अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन उद्योग इस बढ़ते बाजार का लाभ स्वदेश दर्शन तथा प्रसाद जैसी योजनाओं की सहायता से उठा सकता है। उपराष्ट्रपति ने लोगों से आग्रह किया कि स्थानीय पर्यटक स्थलों की यात्रा को वरीयता दें।
उन्होंने भारत की अपार प्राकृतिक और सांस्कृतिक सुरंदरता की प्रसंशा करते हुए कहा कि युवाओं को विवेकानन्द रॉक मेमोरियल कन्याकुमारी, अंडमान का सेल्युलर जेल तथा गुजरात के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने जरूर जाना चाहिए। घरेलू पर्यटन बढ़ाने के केंद्र सरकार के कार्यक्रम की चर्चा करते हुए श्री नायडू ने कहा कि “बाहर जाने से पहले देखो अपना देश।”
उपराष्ट्रपति नायडू ने पर्यटन को फिर से प्रारंभ करने के लिए कहा कि आतिथ्य सत्कार क्षेत्र के लिए सभी स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करके पर्यटकों का विश्वास हासिल करना महत्वपूर्ण है। इस सिलसिले में उन्होंने पर्यटन मंत्रालय की अनुपालन प्रणाली, आतिथ्य सत्कार क्षेत्र में अवलोकन, जागरूकता तथा प्रशिक्षण प्रणाली (साथी) के अनुपालन की चर्चा की।
उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि साथी जैसे कदमों से सुरक्षित संचालन के लिए होटलों की तैयारियों, अतिथियों की विश्वास बहाली में मदद मिलेगी और होटल की छवि उत्तरदायी होटल के रूप में बढ़ेगी।
विद्यार्थियों से बातचीत करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सार्थक मनोभाव और मुस्कुराता हुआ चेहरा आतिथ्य सत्कार क्षेत्र में सफलता हासिल करने में बड़ी भूमिका निभाएगा। उन्होंने इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा भूले बिना अधिक से अधिक भाषाओं को सीखने के लिए प्रोत्साहित किया।
उपराष्ट्रपति नायडू ने अपने व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी कुछ पुरानी बातों को साझा करते हुए सुझाव दिया कि सफलता प्राप्त करने के लिए उत्कृष्ट बनने की महत्वाकांक्षा, अनुशासन के साथ काम करने की मनोवृत्ति महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे आनन्द के साथ काम करें किसी तरह के दवाब में नहीं।
उपराष्ट्रपति ने प्रमुख वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में गोवा के महत्व की चर्चा की। उन्होंने कहा कि गोवा प्राकृतिक सुन्दरता के अतिरिक्त कला और वास्तु, मेले तथा त्यौहार जैसी अनेक चीजें पर्यटकों के लिए प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि इसी कारण अंतर्राष्ट्रीय तथा घरेलू पर्यटकों के हृदय में गोवा का विशेष स्थान है।
इस अवसर पर संस्थान में आयोजित एक भारत श्रेष्ठ भारत पहल की प्रसंशा की। इस पहल के अंतर्गत गोवा और झारखंड के बीच सांस्कृतिक संपर्क को दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि यह नवाचारी कदम है जो राज्यों के बीच संबंधों को बढ़ाता है और भारत की एकता और अखंडता को मजबूत बनाता है।
इंटरऐक्टिव कार्यक्रम में गोवा के प्रोटोकॉल मंत्री मौविन गोडिन्हो, पर्यटन मंत्रालय की महानिदेशक मीनाक्षी शर्मा, पर्यटन मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार ज्ञान भूषण, इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेंजमेंट के अध्यक्ष जे. अशोक कुमार तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।