धर्मनगरी की सड़कों पर भिक्षा मांगती यह प्रतिभाशाली युवती कौन है, पढ़िये खबर | Nation One

देहरादूनः अपने देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है लेकिन, आज के इस भौतिकवादी युग में किन-किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, यह किसी को नहीं पता, इसका ताजा उदाहरण धर्मनगरी हरिद्वार की सड़कों पर खानाबदोश सा जीवन जीने को मजबूर एक युवती हंसी है. कुमाऊं विश्वविद्यालय से वह अंग्रेजी व राजनीति विज्ञान से एमएम पास है. दर-दर की ठोकर खा चुकी हंसी अब सिर्फ बेटे के लिए जीना चाहती हैं और उसे अफसर बनते देखना चाहती है. उसी के लिए वह भिक्षा मांग रही हैं.

हंसी उस समय सभी का ध्यान अपनी तरफ तब खींच लेती हैं, जब बेटे को पढ़ाते समय फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगती हैं. रविवार को वह अपने बेटे के साथ नेहरू युवा केंद्र पर पहुंचीं.केंद्र के सचिव सुखवीर सिंह से वह कई बार भिक्षा मांगने पहुंचीं. सुखवीर के कहने पर ही मीडियाकर्मियों ने उनसे बातचीत शुरू की तो हंसी अपनी कहानी बयां करने लगी.

कुमाऊं विवि छात्रसंघ की उपाध्यक्ष भी रहीं

उन्होंने बताया कि वह पांच भाई, बहनों में वह सबसे बड़ी हैं. वह अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र के हवालबाग विकासखंड के अंतर्गत गोविंदपुर के पास रणखिला गांव की रहने वाली हैं. प्राथमिक से लेकर इंटर तक की उनकी पढ़ाई गांव में ही हुई.

उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा कैंपस में प्रवेश लिया. पढ़ाई के साथ वह विवि की अन्य शैक्षिक गतिविधियों में भी शामिल होती थीं.वर्ष 2000 वह अपने कॉलेज की छात्रसंघ चुनाव में उपाध्यक्ष चुनी गईं. बाद में वह कुमाऊं विश्वविद्यालय में ही लाइब्रेरियन की नौकरी करने लगीं. वहां उन्होंने चार साल तक नौकरी की.

साथ रखे हैं सभी शैक्षिक प्रमाणपत्र

हंसी ने बताया कि, उन्होंने अपने सभी शैक्षिक प्रमाणपत्र साथ रखे हुए हैं. कहा कि, शादी के बाद अचानक उनके जीवन में बदलाव आने लगा. उनका मन घर में नहीं लगा और धर्म के प्रति झुकाव हुआ. इसके बाद वह हरिद्वार चर्ली आईं. यहां उन्हें लंबे समय से अलग-अलग स्थानों पर भिक्षावृत्ति करते देखा गया है. उन्होंने बताया कि वह केवल अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए पैसे मांगती हैं. ज्यादा पैसे देने पर लौटा देती हैं.

बेटे को बनाना चाहती हैं अफसर

भिक्षावृत्ति के बारे में पूछे जाने पर हंसी बताती हैं कि वह शारीरिक रूप से कमजोर हो गईं तो कहीं नौकरी करने के लायक नहीं रहीं. इसलिए उन्होंने भिक्षावृत्ति का निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि उनके दो बच्चे हैं. बड़ी बेटी नानी के पास रहती है. छह साल का बेटा उनके साथ रहता है.

जवाहर लाल नेहरू युवा केंद्र के सचिव सुखवीर सिंह ने बताया कि बेटा सरस्वती शिशु मंदिर मायापुर में दूसरी कक्षा में पढ़ता है. वह अपने बेटे को अफसर बनाना चाहती हैं. सुखवीर सिंह चाहते हैं कि हंसी और उनके बेटे के लिए रहने का कोई ठिकाना हो जाए ताकि वह पढ़कर अच्छा जीवन जी सके.

लड़ चुकी हैं विधानसभा का चुनाव

वर्ष 2000 में छात्रसंघ की उपाध्यक्ष बनी हंसी ने उत्तराखंड राज्य बनने के बाद हुए विधानसभा चुनाव में सोमेश्वर सीट से कांग्रेस के प्रदीप टम्टा और भाजपा के राजेश कुमार के खिलाफ ताल ठोंकी थी. उस समय 53689 मतदाताओं वाली इस सीट पर हंसी समेत 11 प्रत्याशी मैदान में थे और 26572 मतदाताओं ने वोट डाले थे. उन्होंने इस चुनाव में 2650 वोट हासिल किए थे. कांग्रेस के प्रदीप टम्टा ने 9146 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी जबकि भाजपा के राजेश कुमार 8263 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर थे.