लोकसभा चुनाव से महज एक साल पहले आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को बड़ा झटका देते हुए साथ छोड़ दिया है। केन्द्र में दो प्रतिनिधियों के मोदी सरकार के कैबिनेट से इस्तीफे के एक हफ्ते बाद 16 सांसदों वाली टीडीपी ये यह फैसला किया है।
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने के चलते टीडीपी नाराज
एनडीए से अलग होने का टीडीपी का यह फैसला पार्टी पोलित ब्यूरो की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने के चलते एन. चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली टीडीपी और अन्य स्थानीय पार्टियां केन्द्र सरकार से काफी नाराज हैं।
हालांकि, एनडीए गठबंधन से टीडीपी का अलग होना केन्द्र के लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि दिल्ली में 8 मार्च को ही मोदी सरकार से टीडीपी के दो मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था। गुरूवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू ने वाई.एस.आर. कांग्रेस अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी के केन्द्र के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने का ऐलान किया था। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को खारिज करने के बाद यह अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। एनडीए सरकार के कार्यकाल में ऐसा पहली बार है जब यह प्रस्ताव लाया गया।
इस बीच, कांग्रेस ने गुरुवार को लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति का बहिष्कार किया। पार्टी का कहना है कि सरकार अलोकतांत्रिक रवैया अपना रही है और सदन पर अपनी मर्जी थोप रही है। पार्टी नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि लोकसभा में वित्त विधेयक और विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों से संबंधित अनुदानों को बिना चर्चा के पारित कराया गया है। सरकार लोकतांत्रिक ढंग से आपसी सहमति से समाधान नहीं निकालना चाहती।