रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने मंगलवार को कहा कि महासागरों में परिवहन की स्वतंत्रता नियम आधारित व्यवस्था है। किसी शक्ति या शक्तियों के समूह को इसमें एकतरफा बदलाव करने का अधिकार नहीं है। सीतारमन की इस टिप्पणी को चीन के संदर्भ में देखा जा रहा है, जो विवादित दक्षिण चीन सागर में लगातार अपनी सैन्य ताकत बढा रहा है।
दो दिवसीय ‘इंडो पैसिफिक रीजनल डायलॉग’ के उद्घाटन अवसर पर रक्षा मंत्री ने कहा-हम एक बहुध्रुवीय दुनिया में रहते हैं जहां हम साफ कर देना चाहते हैं कि नौपरिवहन की आजादी पर एकतरफा या मनमाने तरीके से सवालिया निशान नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने आगे कहा-कुछ समय पहले तक भारत को रणनीतिक कौशल वाली क्षेत्रीय ताकत के तौर पर देखा जाता था.. लेकिन मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हालिया वर्षों में भारत को अब वैश्विक नीतियों को प्रभावित करने वाले देश के रूप में देखा जाने लगा है।
वैश्विक नेता की अपनी भूमिका को गंभीरता से लेता है भारत
भारत वैश्विक नेता की अपनी भूमिका को गंभीरता से लेता है। अब हम क्षेत्रीय शक्ति नहीं हैं और न ही सिर्फ क्षेत्रीय नीति को प्रभावित करने वाले देश हैं। हमारे पास एक विश्वस्तरीय नेतृत्व है। सीतारमन ने कहा कि भारत-प्रशांत क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है और भारत को वहां समुद्री डकैतियों के खिलाफ अभियान समेत बडी भूमिका निभानी है।
अब भारत सिर्फ मानवीय सहायता प्रदान करने तक सीमित नहीं रहेगा। इस मौके पर भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा के अलावा श्रीलंका के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ एडमिरल रविंद्र सी. विजेगुनारत्ने और ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय के स्थायी सचिव स्टीफन लवग्रोव भी उपस्थित थे।