News : पश्चिमी अफ्रीकी देश माली से एक बड़ी और चिंताजनक खबर सामने आई है, जहां अल-कायदा से जुड़े आतंकियों ने तीन भारतीय नागरिकों को अगवा कर लिया है। माली में सक्रिय इस्लामिक आतंकवादी संगठन, जो लंबे समय से हिंसक गतिविधियों में शामिल रहा है, अब भारतीयों को भी निशाना बनाने लगा है।
भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए माली सरकार से तत्काल दखल देने और भारतीय नागरिकों की सुरक्षित रिहाई की मांग की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपहरण की पुष्टि करते हुए कहा है कि यह घटना माली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में हुई, जहां ये तीनों भारतीय एक निजी कंपनी के लिए काम कर रहे थे।
मंत्रालय ने बताया कि माली में भारतीय दूतावास माली प्रशासन और स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर इस मामले पर नजर बनाए हुए है। सरकार ने माली के अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया है कि भारतीयों की सुरक्षा और जल्द रिहाई प्राथमिकता है।
News : अल-कायदा से जुड़ा आतंकी संगठन जिम्मेदार
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस अपहरण के पीछे अल-कायदा से जुड़ा आतंकवादी गुट Jama’at Nusrat al-Islam wal-Muslimin (JNIM) का हाथ होने की आशंका है। यह संगठन माली, बुर्किना फासो और नाइजर जैसे देशों में आतंकवाद फैला रहा है और अक्सर विदेशी नागरिकों को अपहरण करके फिरौती मांगता है। इससे पहले भी फ्रांस, अमेरिका और जर्मनी के नागरिक इस गुट के निशाने पर रह चुके हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, तीनों भारतीय नागरिक माली के गौ क्षेत्र में कार्यरत थे और एक निर्माण परियोजना का हिस्सा थे। उन्हें उस वक्त अगवा किया गया जब वे अपनी गाड़ी से साइट की ओर जा रहे थे। हथियारबंद आतंकियों ने रास्ता रोककर उन्हें बंदूक की नोक पर अगवा कर लिया और अज्ञात स्थान पर ले गए। घटना के बाद से स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बल अलर्ट पर हैं।
News : भारत सरकार की सख्त प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा,
“हम माली सरकार से आग्रह करते हैं कि वे हरसंभव कदम उठाकर हमारे नागरिकों को सुरक्षित रिहा कराएं। भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और इस घटना की हर पहलू पर गहन निगरानी कर रही है।”
भारत ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से भी संपर्क किया है ताकि इस अपहरण पर दबाव बनाया जा सके और आतंकियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग किया जा सके।
News : परिवारों में पसरा मातम और चिंता
तीनों भारतीयों के परिवारों को जब इस अपहरण की सूचना मिली, तो उनके बीच चिंता और डर का माहौल गहराता गया। एक अपहृत भारतीय के परिजन ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमें अब बस सरकार पर भरोसा है। हमने बेटे को रोज़ी-रोटी कमाने के लिए माली भेजा था, आतंकियों के हाथ लगने के लिए नहीं। हम प्रधानमंत्री जी और विदेश मंत्री से अपील करते हैं कि उन्हें सही-सलामत घर वापस लाएं।”
यह पहली बार नहीं है जब माली में भारतीयों को अगवा किया गया हो। इससे पहले भी कुछ सालों पहले एक भारतीय इंजीनियर को आतंकियों ने अगवा कर लिया था, जिसे कई महीनों बाद रिहा कराया गया था। माली में सरकार की पकड़ खासतौर पर उत्तरी और मध्य हिस्सों में कमजोर मानी जाती है, जहां जिहादी समूह खुलेआम अपनी गतिविधियां चलाते हैं।
News : माली की सुरक्षा स्थिति बेहद नाजुक
माली लंबे समय से अस्थिरता का शिकार है। 2012 के बाद से देश में तख्तापलट, जातीय संघर्ष और आतंकी हमलों का सिलसिला जारी है। फ्रांस की सेना और संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना वर्षों तक वहां तैनात रहीं, लेकिन अब वे भी काफी हद तक पीछे हट चुकी हैं। इसका फायदा आतंकवादी संगठनों ने उठाया और अपना प्रभाव बढ़ा लिया। मौजूदा हालात में माली की सरकार सिर्फ राजधानी बमाको और कुछ सीमित क्षेत्रों तक ही प्रभावी मानी जाती है।
भारत के साथ-साथ अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें भी इस घटनाक्रम पर टिकी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी संघ और अन्य देश माली में काम कर रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। भारत ने इस घटना के बहाने माली की सरकार को यह संदेश भी दिया है कि यदि विदेशी निवेश और मानव संसाधन की रक्षा नहीं की गई तो आगे सहयोग पर असर पड़ेगा।
माली में भारतीय नागरिकों का अपहरण केवल एक कूटनीतिक चुनौती नहीं, बल्कि मानवीय संकट भी है। भारत सरकार ने तत्काल और सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन जमीन पर हालात बेहद जटिल हैं। अब देखना यह होगा कि माली प्रशासन, भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के प्रयास कितनी जल्दी रंग लाते हैं। फिलहाल, पूरा देश इन तीन भारतीयों की सलामती की दुआ कर रहा है और उम्मीद की जा रही है कि वे जल्द अपहरणकर्ताओं के चंगुल से रिहा होकर सुरक्षित भारत लौटेंगे।