News : प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार वजह कोई आध्यात्मिक प्रवचन नहीं बल्कि इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रही एक अजीब तस्वीर है। इस तस्वीर ने न सिर्फ महाराज के अनुयायियों को चौंकाया है, बल्कि संत समाज में भी आक्रोश की लहर दौड़ा दी है।
News : क्या है वायरल तस्वीर में?
वायरल हो रही इस तस्वीर में संत प्रेमानंद महाराज अपनी कुटिया में विश्राम करते हुए दिखाई दे रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इस तस्वीर में ब्रज की अधिष्ठात्री देवी श्रीराधा उनकी सेवा करती नजर आ रही हैं और खिड़की से भगवान श्रीकृष्ण झांकते दिख रहे हैं।
यह चित्रण सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, जिस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं और टिप्पणियां सामने आ रही हैं। कई लोगों ने इसे बेहद आपत्तिजनक, भ्रामक और भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया है।
News : श्रीराधा केलिकुंज आश्रम का कड़ा खंडन
इस मामले में प्रेमानंद महाराज के आश्रम श्रीराधा केलिकुंज ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए पूरी घटना को फर्जी और भ्रामक करार दिया है।
आश्रम की ओर से कहा गया है- “यह तस्वीर पूरी तरह से AI तकनीक की सहायता से बनाई गई है। संत प्रेमानंद महाराज ने ऐसा कोई चित्र नहीं बनवाया और न ही इसे प्रसारित करने में उनका कोई योगदान है। यह एक सोची-समझी साजिश है संत समाज को बदनाम करने की।”
News : संत समाज का गुस्सा फूटा
देशभर के संतों और धार्मिक संस्थाओं ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। संत समाज का कहना है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की छवि नहीं, बल्कि संपूर्ण सनातन संस्कृति और आस्था पर चोट है। कई वरिष्ठ संतों ने कहा कि अगर ऐसी तस्वीरें और सामग्री इंटरनेट पर प्रसारित होती रहीं तो वे आंदोलन छेड़ने पर मजबूर हो जाएंगे।
वायरल तस्वीर को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर घमासान मचा हुआ है। कुछ यूजर्स इसे “कलियुग की लीलाएं” बता रहे हैं, वहीं कई इसे गहरी साजिश और धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ मान रहे हैं।
#PremanandMaharaj और #RadhaSeva ट्रेंड कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा- “AI तकनीक का इतना गंदा इस्तेमाल हमने कभी नहीं देखा। संतों को बदनाम करने की ये चाल नहीं चलेगी।”
News : प्रशासन और साइबर सेल से कार्रवाई की मांग
आश्रम और संत समाज दोनों ने प्रशासन से इस पूरे प्रकरण की जांच करवाने और दोषियों को पकड़कर कड़ी सजा दिलाने की मांग की है। आश्रम ने साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराने की बात कही है। फिलहाल पुलिस और प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
संत प्रेमानंद महाराज की वायरल फोटो ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि तकनीक के इस युग में धार्मिक आस्थाओं और महापुरुषों की छवि किस हद तक निशाने पर है। यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं का है।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस मुद्दे पर कितनी तत्परता दिखाता है और क्या दोषियों को सच में कोई सजा मिलती है या यह मामला भी वायरल कंटेंट बनकर रह जाता है।
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