गांव वालो के लिए मसीहा बनकर आए ये प्रवासी, उनकी पीड़ा को देख गांव में खोला टेलीमेडिसिन सेंटर
पौड़ी: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव देखने को मिल रहा है। जहां सरकार सबका साथ और सबका विकास की बात करती है तो वही पहाड़ी क्षेत्रों में आज तक भी विकास की कोई भी किरण देखने को नहीं मिल रही है। आज भी पहाड़ों की स्थिति ऐसी है कि लोगों को कई किलोमीटर दूर पैदल चलकर मरीज को अस्पताल पहुंचाना पड़ता है,ऐसे में कोई रास्ते में ही दम तोड़ देता है क्योकि उसे अस्पताल तक पहुचाने में काफी लंबा समय लग जाता है। वही पौड़ी जिले के कुछ प्रवासी युवाओं ने अपने गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के चलते वहां पर टेलीमेडिसिन सेंटर स्थापित कर दिया। जहां मरीजों को मुफ्त में इलाज के साथ-साथ निशुल्क दवाई में उपलब्ध कराई जाएगी।
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बता दें कि पौड़ी जिले के सुदूरवर्ती पोखड़ा विकासखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के चलते वहां के युवाओं ने खुद के संसाधनों से ग्राम बिजोरापानी में टेलीमेडिसिन सेंटर स्थापित कर दिया। उत्साही युवाओं की इस मानवीय पहल से अब ग्रामीणों को घर के नजदीक ही बीमारियों के निदान की सुविधा के साथ निश्शुल्क दवाएं भी मिलने लगी हैं।
बिजोरापानी में प्रवासियों की पहल पर खुला टेलीमेडिसिन सेंटर अब अन्य क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बनाने लगा है। यहां आसपास के गांवों के साथ ही बीरोंखाल क्षेत्र के गांवों से भी लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। सेंटर में तैनात फार्मासिस्ट मरीजों की प्रारंभिक जांच के बाद वीडियो कॉल के माध्यम से जिला अस्पताल सहित अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श करते हैं। इसके बाद मरीज को आवश्यक दवाएं निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।
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घंडियाल कस्बे में आए प्रवासी युवाओं को जब क्षेत्र में सामान्य उपचार की सुविधा न होने की बात पता चली तो उन्होंने स्वयं खर्चे पर ही वहां टेलीमेडिसिन सेंटर खोलने का निर्णय लिया। ऐसे में ये प्रवासी उन लोगों के लिए मसीहा बनकर आए जो बेहतर इलाज के लिए तरस रहे थे। अगर ऐसे ही उत्तराखंड के हर युवा सोचे तो एक दिन जरूर पहाड़ों की स्थति में कुछ हद तक सुधार आएगा। और लोगों को बेहतर इलाज के लिए शहरों की ओर नहीं आना पड़ेगा।
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दरअसल, सेंटर के सूत्रधार राजीव बंदूणी ने जिलाधिकारी सुशील कुमार के समक्ष क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का मामला उठाया तो उन्होंने टेलीमेडिसिन सेंटर खोलने की सलाह दी। बंगलुरू में सफल व्यवसायी राजीव बंदूणी और दिल्ली में रह रहे शशि बंदूणी इस महायज्ञ के सूत्रधार बने। उन्होंने सभी प्रवासी बंधुओं से इस महायज्ञ में आर्थिक आहुति डालने की भावुक अपील की। नतीजा दो दिनों में ही सवा लाख की सहयोग राशि इकट्ठा हो गई और कुछ ही दिन में बिजोरापानी में सेंटर भी खुल गया।