AIIMS में व्हीलचेयर के लिए तड़पता रहा बुजर्ग, गोद में उठाकर बेटे ने पहुंचाया डॉक्टर के पास…
ऋषिकेश : अगर अस्पतालों में ही मरीजों की सहूलियत का ख्याल नहीं रखा जाएगा तो फिर कहा रखा जाएगा। AIIMS में मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए।इसके बावजूद बेहतर प्रबंधन न होने की वजह से मरीजों को दुर्दशा का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इसकी सच्चाई तब सामने आई जब सहारनपुर से इलाज के लिए आये एक बुजुर्ग को व्हील चेयर तक नसीब नहीं हुई। मजबूरी में युवक को अपने पिता को गोद में लेकर इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ा।
शनिवार को AIIMS में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। सहारनपुर से आए रामकिशन का बेटा उन्हें गोद में लिए दर-दर भटकता रहा। लेकिन उन्हें एक अदद व्हीलचेयर नसीब नहीं हो पाई। उन्होंने कर्मचारियों से पूछा तो बताया कि अभी कोई स्ट्रेचर या व्हीलचेयर उपलब्ध नहीं है।
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रामकिशन के पैरों में सेप्टिक हो गया है, जिसकी वजह से वह चलने-फिरने में असमर्थ हैं। बड़ी उम्मीद के साथ वे एम्स में इलाज कराने आए थे। उनका बेटा मनोज बड़ी देर तक व्हीलचेयर की तलाश करता रहा। निराशा हाथ लगी और पिता को गोद में उठाकर इमरजेंसी वार्ड पहुंचा। रिश्तेदारों ने पर्चा बनवा लिया। इसके बाद जांच के लिए फिर स्ट्रेचर की तलाश शुरू हुई। काफी मगजमारी करने के बाद भी मदद नहीं मिल पाई तो वह फिर से गोद में पिता को उठाकर डॉक्टर तक पहुंच पाया।
एक तरफ इंटरनेशल सेमिनार चल रहा है तो दूसरी ओर एम्स की दीवारें, शौचालय और फाउंटेन पार्क व्यवस्था की कहानी बयां कर रहे हैं। चिकित्सा संस्थान होने के नाते सफाई और संसाधनों के प्रबंधन का जो सलीका होना चाहिए वो सब फेल दिखा। तृतीय तल स्थित शौचालय शीट पर पान की पीक, वॉशरूम कूड़ाघर और टूटी कुर्सियों का कबाड़खाना जैसा दिखा। परिसर के बीचोबीच लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए फाउंटेन पार्क में पानी जमा है।
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गंदे पानी के कारण अस्पताल में ही डेंगू संक्रमण का खतरा बना हुआ है। एम्स की दीवारें करोड़ों खर्च के बावजूद उखड़ गई हैं, जो घटिया निर्माण की कहानी बयां कर रही हैं। इन अव्यवस्थाओं को लेकर एम्स प्रबंधन का पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन वार्ता नहीं हो पाई। एम्स की ओर से पक्ष आने पर उसे भी प्रकाशित किया जाएगा।