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जमीन घोटाला: रॉबर्ट वाड्रा और हरियाणा के पूर्व सीएम के खिलाफ FIR दर्ज
नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, डीएलएफ गुरुग्राम और स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के खिलाफ जमीन खरीद मामले में FIR दर्ज की गई है। रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ जो FIR हुई है, उसमें आरोप है कि सारे नियम ताक पर रखकर हरियाणा में उन्हें करोड़ों का फायदा पहुंचाया गया।
सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा साल 2014 लोकसभा चुनावों के ऐन पहले चर्चा में तब आए, जब बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपनी रैलियों में उनका नाम लेना शुरू किया।
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कई मौकों पर नरेंद्र मोदी ने रॉबर्ट वाड्रा का नाम लिए बगैर “दामाद जी” का संबोधन करके जनता की तालियां बटोरीं। तब रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी पर सरकारी ताकतों का फायदा उठाते हुए लैंड डील में अनियमितताओं के आरोप लगे थे। वाड्रा के जमीन खरीद मामले को बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 में हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में मुद्दा भी बनाया था।
बता दें कि वाड्रा के स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड पर गुरुग्राम के सेक्टर 83 में 3.5 एकड़ जमीन ओंकरेश्वर प्रॉपर्टीज से वर्ष 2008 में 7.50 करोड़ रुपए में खरीदने का आरोप है। जिस वक्त जमीन खरीदी गई उस वक्त भूपेंद्र सिंह हुड्डा राज्य के मुख्यमंत्री थे और उनके पास आवास एवं शहरी नियोजन विभाग भी था।जिस मुद्दे को बीजेपी ने चुनाव में जमकर भुनाया, उसको सबसे पहले अरविंद केजरीवाल ने जनता के सामने लाया था।
यह मामला 2012 में केजरीवाल ने उछाला था। केजरीवाल ने वाड्रा पर दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में 31 संपत्तियां खरीदने का आरोप लगाया था। ये सभी संपत्तियां डीएलएफ के असुरक्षित ऋणों का उपयोग करते हुए मार्केट रेट से काफी कीमत में खरीदी गईं।
हरियाणा में कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी और उनपर आरोप लगा उन्होंने वाड्रा को फायदा पहुंचाया। वाड्रा के स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड पर शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ प्लॉट 7.5 करोड़ में खरीदने और उसको डीएलएफ को 58 करोड़ में बेचने का आरोप लगा। वाड्रा ने हमेशा अपने ऊपर लगे आरोपों से इंकार किया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने भी भ्रष्टाचार के आरोपों से इंकार कर दिया था।
इस पूरे मामले में कब क्या हुआ…
नंवबर 2007: स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी रॉबर्ट वाड्रा द्वारा 1 लाख इक्विटी पूंजी के साथ अपने बिजनेस की शुरुआत करती है।
फरवरी 2008: कंपनी ने गुरुग्राम के सेक्टर 83 के शिकोहपुर में 3.531 एकड़ जमीन खरीदी। इसके बदले 7.5 करोड़ का भुगतान ओंकरेश्वर प्रॉपर्टीज को किया गया। यह भुगतान फर्जी चेक का इस्तेमाल कर किया गया। डीड में दावा किया गया कि स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को 45 लाख रुपये का स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान किया गया था।
मार्च 2008: लाइसेंसिंग अथॉरिटी, निदेशक टाउन और कंट्री प्लानिंग हरियाणा द्वारा आवेदन के केवल 18 दिनों के भीतर एलओआई जारी कर दिया गया।
जून 2008: वाणिज्यिक कॉलोनी लाइसेंस के साथ 2.701 एकड़ जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ में बेची गई।
अगस्त 2008: साइट पर एक वाणिज्यिक परिसर विकसित करने के लिए स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और डीएलएफ रिटेल डेवलपर्स के बीच 5.8.2008 को समझौता हुआ।
नवंबर 2008: वाणिज्यिक कॉलोनी लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया।
दिसंबर 2008: वाणिज्यिक कॉलोनी लाइसेंस दिया गया।
जनवरी 2011: लाइसेंस नवीनीकृत किया गया।
मई 2015: बीजेपी नेतृत्व वाली मनोहर लाल खट्टर सरकार ने 14 मई 2015 मे गुड़गांव के सेक्टर 83 में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा वाणिज्यिक उपनिवेशों के विकास के लिए लाइसेंस प्रदान करने की जांच करने के लिए एक सदस्यीय समिति का गठन किया था। न्यायमूर्ति एस एन ढिंगरा आयोग को गठन जांच अधिनियम के आयोग के अधीन किया गया।
अगस्त 2016: ढिंगरा आयोग ने 182 पेज की रिपोर्ट हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर को सौंपी।
अप्रैल 2017: ढिंगरा आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि रॉबर्ट वाड्रा ने 2008 में हरियाणा भूमि सौदे से 50.5 करोड़ रुपये के गैरकानूनी मुनाफा कमाए। ये सभी मुनाफे बिना किसी पैसे खर्च किए कमाए।
सितंबर 2018: मामले में रॉबर्ट वाड्रा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, डीएलएफ गुरुग्राम और स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई।