जानिए भारत की पहली महिला पायलट के बारे में, जिन्होंने 21 साल की उम्र में उड़ाया था विमान
क्या आपको पता हमारे देश की पहली महिला पायलट कौन थी ?अगर नहीं तो आज हम आपको बताने जा रहे है उस पहली महिला पायलट के बारे में जिसने मात्र 21 साल की उम्र में साड़ी पहनकर विमान उड़ाया था।
हम बात कर रहे हैं भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल की। सरला ने 21 साल की उम्र में साड़ी पहनकर ही विमान उड़ाया। उस वक्त वह चार साल की बच्ची की मां भी थी। गौरतलब है कि सरला ठकराल ने साल 1936 में लाहौर हवाई अड्डे पर दो सीटों वाले जिप्सी मॉथ विमान को चलाया। उस वक्त भारत में अंग्रेजों का राज था।
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सरला का जन्म 15 मार्च को दिल्ली में हुआ था। 1929 में उन्होंने दिल्ली में ही फ्लाइंग क्लब में विमान चलाने की ट्रेनिंग ली। इस ट्रेनिंग में ही उन्होंने एक हजार घंटे का अनुभव भी लिया। इसी के साथ वह ‘A’ लाइसेंस प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला बनी। इसी दौरान दिल्ली के फ्लाइंग क्लब में उनकी मुलाकात पी. डी. शर्मा के साथ हुई, जो खुद एक व्यावसायिक विमान चालक थे। उनके साथ सरला ने शादी कर ली। शादी के बाद उनके पति ने सरला को व्यावसायिक विमान चलाने के लिए प्रोत्साहित किया। पति का साथ और प्रोत्साहन पाकर वह जोधपुर फ्लाइंग क्लब में ट्रेनिंग लेने लगी। फिर उन्होने 1936 में पहली बार जिप्सी मॉथ नाम का विमान उड़ाया और पहली भारतीय विमान चालक बनीं।
साल 1939 सरला के लिए दुखों से भरा रहा। जब वह कर्मिशियल लाइसेंस के लिए कड़ी मेहनत कर रही थी। उसी दौरान दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया और फ्लाइट क्लब बंद हो गया। सरला को अपनी ट्रेनिंग बीच में ही रोकनी पड़ी। इससे भी ज्यादा दुख की बात ये रही कि इसी साल एक विमान हादसे में सरला के पति की मौत हो गई। उस वक्त वो लाहौर में थी। पति की मौत के बाद सरला टूट गई और वह अपने बच्चों के साथ दिल्ली लौट आई।
मात्र 24 साल की उम्र में सरला ने अपने पति को खो दिया था। दिल्ली आने के बाद सरला ने मेयो स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया, जहां उन्होंने बंगाल स्कूल ऑफ पेंटिग सीखी और फाइन आर्ट में डिप्लोमा किया। यहां सरला की मुलाकात पी. पी. ठकराल से हुई। पेंटिग करते – करते उन्होंने अपनी जिंदगी में भी प्यार के रंग भरे और 1948 में दूसरी शादी की।
जिंदगी की इस दूसरी पारी में सरला सफल बिजनेसवूमन और पेंटर बनी। वह कपड़े और ज्वैलरी डिजायन करती थी और अपने डिजायन की हुई चीजें कुटीर उद्योग में लगा देती थी। 2008 में उनका निधन हो गया।