इस वजह से केरल में बाढ़ राहत के लिए विदेशी चंदा लेने से केंद्र ने किया इंकार…
केरल: केरल में आई बाढ से दक्षिण भारतीय राज्य सौ सालों के सबसे बड़ी भीषण प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। इस बारिश से केरल में अपना कहर इस कदर बरपाया “कि यहां के सभी लोगों के घर बेघर हो गए है। स्थिति कुछ ऐसी है कि वहां के लोगों के पास अब खाने तथा रहने के लिए कोई सुविधा नही” है। इस भयानक तबाही से जूझ रहे केरल की मदद के लिए दुनिया भर से लोग और भारत के कई राज्यों की सरकारें आगे आई हैं।”
वही भारत ने आज साफ मना कर दिया है कि वह अपनी एक मौजूदा नीति के तहत बाढ़ प्रभावित केरल के लिए विदेशी सरकारों से वित्तीय सहायता स्वीकार नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि सरकार केरल में राहत और पुनर्वास की जरूरतों को घरेलू प्रयासों के जरिए पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। केरल में बाढ़ राहत अभियानों के लिए कई देशों ने मदद की घोषणा की है। एक ओर यूएई ने केरल को 700 करोड़ रूपये की पेशकश की है वहीं कतर ने 35 करोड़ रूपये और मालदीव ने 35 लाख रूपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है।
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हालांकि कुमार ने कहा कि गैर प्रवासी भारतीयों और फाउंडेशनों जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा प्रधानमंत्री राहत कोष और मुख्यमंत्री राहत कोष में भेजे गए चंदे का स्वागत है। केरल सरकार यूएई से चंदा स्वीकार करने की इच्छुक है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने आज कहा कि यूएई से बाढ़ राहत सहायता प्राप्त करने में यदि कोई बाधा है तो उसे दूर करने के लिए राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क करेगी।
कुमार ने कहा कि भारत सरकार केरल में बाढ़ प्रभावितों को मदद की पेशकश करने को लेकर अन्य देशों की सराहना करता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा नीति के तहत सरकार घरेलू प्रयासों के माध्यम से राहत एवं पुनर्विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। सूत्रों ने बताया कि भारत ने पहले ही अपना फैसला बता दिया है कि वह विभिन्न देशों द्वारा केरल को दी जाने वाली मदद का प्रस्ताव नहीं स्वीकार करेगा।