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गंगा का नाम बदलने के मामले को आप ने बनाया मुद्दा, कहा हम ऐसा नहीं होने देंगे | Nation One
रिपोर्ट : मनोज कुमार
देहरादूनः भागीरथी बिंदु से हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पहुंच रही गंगा की अविच्छिन्न धारा को नहर ( स्कैप चैनल) घोषित किए जाने को लेकर चल रहा वाकयुदध अभी थमा नहीं है. कांग्रेस की ओर से शुरू किए गए इस विवाद को अब आम आदमी पार्टी ने मुद्दा बना लिया है.
इसी सिलसिले में पार्टी की ओर से एक प्रेसवार्ता कर प्रदेश उपाध्यक्ष एसएस कलेर ने इस मामले में राज्य की त्रिवेंद्र सरकार पर निशाना साधा. कहा कि, त्रिवेंद्र सरकार ने मां गंगा मैया का नाम बदलकर इसे नहर का नाम दे दिया है, जिसका हम विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, हम गंगा मैया का नाम नहीं बदलने देंगे.
आपको याद दिला दें, 2016 में कांग्रेस की हरीश रावत की सरकार ने भागीरथी बिंदु सर्वानंद घाट भूपतवाला से हरकी पैड़ी, मायापुर और दक्ष मंदिर कनखल तक बहने वाली गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था. इस पर गंगासभा के पदाधिकारियों सहित गंगा किनारे बसे धर्मजगत के झंडाबरदारों की चुप्पी पर गंभीर सवाल उठाए जाते रहे हैं.
दिसंबर 2016 में गंगा सभा ने इस शासनादेश को निरस्त कराने के लिए हाईकोर्ट गई थी. तब हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा से 200 मीटर की परिधि से निर्माण हटाने के साथ ही किसी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी थी. इस आदेश के बाद शहर के बड़े रसूखदार बिल्डर, होटल, आश्रमधारी लॉबी परेशान हो गई थी.
शासनादेश जारी होने के बाद यह चर्चा होती रही है कि इन सबने मिलकर हाईकोर्ट और एनजीटी का आदेश फ्रिज कराने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत पर दबाव बनाकर गंगा को नहर घोषित करवा दिया था. 2017 में भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार आई तो यह उम्मीद की जाने लगी कि, भाजपा सरकार इस शासनादेश को रद्द करेगी पर, ऐसा नहीं हुआ, भाजपा ने भी सत्ता में आने के बाद इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली. इससे साफ हो गया था कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ही नहीं वर्तमान भाजपा सरकार भी बिल्डर, होटल मालिक और मठाधीशों के दबाव में है, इसलिए उसने भी गंगा को नहर घोषित करने वाले शासनादेश के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की.
हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस पर कई बार सफाई दी कि पंडा-पुरोहितों से लेकर व्यापारी तक कई बार उनसे मिलने आए थे और फिर उन्होंने जनहित में स्कैप चैनल का शासनादेश कराया था. उनका कहना था कि यदि उन्होंने कोई काम गलत और धर्म विरुद्ध किया है तो भाजपा सरकार उसको ठीक कर दे. इस चुनौती को भाजपा सरकार ने स्वीकार नहीं किया.
यह भी बता दें कि, 104 साल पहले यानि 1916 में जब अंग्रेजों ने गंग नहर का निर्माण किया था तब महामना मदन मोहन मालवीय ने हर की पैड़ी को नहर में तब्दील करने पर आवाज बुलंद की थी. उस वक्त हर की पैड़ी से उत्तर दिशा की ओर भागीरथी बिंदु से गंगा की एक धारा निकली जो कि, हर की पैड़ी पर होते हुए कनखल राजघाट, सती घाट दक्ष मंदिर होते हुए गंगा की मुख्य धारा में मिलती है.
100 साल से यह गंगा की निर्मल अविरल धारा के रूप में बह रही थी लेकिन, मालवीय जी द्वारा स्थापित श्री गंगा सभा, हरिद्वार के शताब्दी वर्ष में हरीश रावत ने उत्तऱाखंड के मुख्यमंत्री के रूप में इसे नाले के रूप में तब्दील कर दिया था. अब आगामी विधानसभा चुनावों 2022 में पहाड़ पर चढ़ने की तैयारी कर रही आम आदमी पार्टी ने इसे मुद्दा बना लिया है और आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार है.