Dhanteras के दिन क्यों होती यमराज की पूजा ? जानें इसके पिछे का धार्मिक महत्व | Nation One
Dhanteras : दिवाली के पर्व की शुरुआत धनतेरस के दिन से होती है जो कि हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल धनतेरस का पर्व 10 नवंबर 2023, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धन्वंतरि, भगवान कुबेर और मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
इसके साथ ही धनतेरस के दिन यमराज की पूजा की भी विधान है। इस दिन यमराज की पूजा का विशेष महत्व माना गया है और इसलिए शाम के समय एक दीपक यमराज के नाम भी जलाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर धनतेरस के दिन यमराज का पूजन क्यों किया जाता है?
Dhanteras : धनतेरस के दिन यम का दीपक
हिंदू धर्म में धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है और इस दिन यमराज की पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन यम के नाम से दीपदान की परंपरा है और इस दिन यम यानि यमराज के लिए आटे का एक चौमुख दीपक बनाकर उसे घर के मुख्य द्वारा पर रखा जाता है। घर की महिलाएं रात के समय दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं।
बता दें कि यह दीपक घर की दक्षिण दिशा में जलाया जाता है. दीपक जलाते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप किया जाता है।
Dhanteras :धनतेरस पर क्यों होती है यमराज की पूजा?
धनतेरस के दिन यम के नाम से दीपदान किया जाता है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। एक समय यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या कभी तुम्हें प्राणियों के प्राण हरते समय किसी पर दयाभाव आया है।
तो वे संकोच में आकर बोले- नहीं महाराज! यमराज ने उनसे दुबारा यही सवाल पूछा तो उन्होंने संकोच छोड़कर बताया कि एक बार एक ऐसी घटना घटी थी जिससे हमारा हृदय कांप उठा था।
एक बार हेम नामक राजा की पत्नी ने एक पुत्र का जन्म दिया तो ज्योतिषियों ने नक्षण गणना करके बताया कि जब इस बालक का विवाह होगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृत्यु हो जाएगी। यह जानकर राजा ने बालक को यमुना तट की गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर बड़ा किया।
Dhanteras : अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं
एक बार जब महाराज हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही थी तो उस ब्रह्मचारी बालक ने मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर दिया। लेकिन विवाह के चौथे दिन ही वह राजकुमार मर गया। पति की मृत्यु देखकर उसकी पत्नी बिलख-बिलख कर रोने लगी और उस नवविवाहिता का विलाप देखकर हमारा यानि यमदूतों का हृदय कांप उठा। तभी एक यमदूत ने यमराज से पूछा कि ‘क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है?’
यमराज बोले- एक उपाय है। अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को धनतेरस के दिन पूजा करने के साथ ही विधिपूर्वक दीपदान भी करना चाहिए। इसके बाद अकाल मृत्यु का डर नहीं सताता। तभी से धनतेरस पर यमराज के नाम से दीपदान करने की परंपरा है।
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