सरकार तो ठेके बंद करा दें पर शराबियों को कौन समझाए

थानो में शराब के दो ठेकों को निरस्त करने के बाद बोले मुख्यमंत्री

देहरादून


मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार को थानो चौक पर शराब के दो ठेकों को रद्द करा दिया। ऐसा थानो चौक पर महिलाओं के आग्रह के बाद किया गया। बताया जा रहा है कि दोनों ठेके पहली बार खोले गए थे। हुआ यह कि मुख्यमंत्री सनगांव यूनिवर्सिटी ऑफ नार्थ वेस्ट हिमालयाज के भूमि पूजन कार्यक्रम में जा रहे थे। रास्ते में थानो चौक पर महिलाओं ने उनके काफिले को रोक लिया और मुख्यमंत्री से थानो चौक पर दिेए गए शराब के दोनों ठेकों को रद्द करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने महिलाओं को आश्वासन दिया कि दोनों ठेकों को हटा दिया जाएगा।

इसके बाद मुख्यमंत्री रावत ने भूमि पूजन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अफसरों ने उनको बताया कि ये दोनों ठेके निरस्त करने से करीब 52 लाख रुपये राजस्व का नुकसान होगा और ये रकम उन ठेकेदारों को वापस करनी होगी, जिनके नाम पर ठेके आवंटित किए गए थे। सीएम ने कहा कि 52 लाख रुपये वापस करने से राज्य सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन थानो में शराब के ठेके खोले जाने से यहां से लोगों पर असर पड़ता है। इसलिए दोनों ठेकों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब का ठेका तो बंद कर दिया गया, लेकिन शराबियों को कौन समझाएगा। उन्होंने कहा कि मद्यपान को रोकने में सरकारी प्रयासों के साथ घर का स्वस्थ वातावरण, आदर्श संस्कार और माताओं की रचनात्मक व महत्वपूर्ण भूमिका है।

सरकार तो शराब बिकवाएगी, शराबियों को आप समझाएं

राज्य सरकार तो शराब बिकवाने के पूरे इंतजाम कर रही है, क्योंकि उसको शराब से राजस्व मिलता है, लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के संबोधन से साफ है कि शराबियों को समझाने की जिम्मेदारी उनके परिवारों की है और इसमें माताओं की भूमिका रचनात्मक है। यही वजह है कि सरकार ने पूरे प्रदेश में महिलाओं के लाख विरोध के बाद भी शराब के पुराने ठेके ही नहीं खुलवाए, बल्कि नई- नई जगहों पर भी शराब बेचने की व्यवस्था कर दी। निरस्त किए गए ये दो ठेके भी थानो में पहली बार खोले जा रहे थे। इससे पहले थानो में ठेका नहीं था। सरकार ने ठेकों को खोलने के लिए राज्यभर में  हाईवे को भी जिला मार्ग घोषित करने मे देर नहीं की। साफ है कि सरकार राजस्व के मामले में शराब पर कुछ ज्यादा ही निर्भर होकर रह गई है।

राज्यभर में जहां विरोध, वहां ठेके रद्द क्यों नहीं

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा डोईवाला के थानो में महिलाओं के आग्रह पर शराब के दोनों ठेकों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया। ठेकेदारों की ओर से जमा रकम को भी सरकार वापस कर देगी, लेकिन पहाड़ के जिलों में जहां महिलाओं को आंदोलन करते हुए काफी समय हो गया, वहां ठेकों को निरस्त नहीं किया गया। कहीं शराब के ठेकों को भी वोटों से जोड़कर तो नहीं देखा जा रहा है।

डिग्रियां बांटना ही न हो शिक्षण संस्थानों का उद्देश्यः सीएम

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत रविवार को सनगांव डोईवाला में द शिवालिक हिल्स फाउंडेशन की यूनिवर्सिटी आफ नार्थ वेस्ट हिमालयाज के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह एक साहसिक पहल है। सामान्यतः अधिकतर संस्थान राज्य में सुविधाजनक स्थानों पर ही शिक्षण संस्थान आदि स्थापित करने में रूचि लेते हैं। राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों को भी ध्यान रखना होगा कि आज का समय सूचना तकनीकी तथा वैश्वीकरण के कारण बड़ी तेजी से परिवर्तित हो रहा है। विश्वास है कि विश्वविद्यालय ज्ञान, शिक्षा एवं शैक्षिक गुणवता की दृष्टि से श्रेष्ठ सिद्ध होगा। वर्तमान में दो शब्द इनपुट तथा आउटपुट अत्यधिक प्रचलित है, लेकिन हमें अब आउटकम की बात करनी होगी। आउटकम का अर्थ है कि शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करने के बाद छात्र अपने समाज को कितना लाभ पहुंचा रहे है। विश्वविद्यालयों की स्थापना जिस विजन के साथ की गई उस विजन को प्राप्त करने में हम कितने सफल रहे।

सीएम ने कहा कि आज बहुत बड़ी संख्या में छात्र विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की डिग्रियां लेकर निकल रहे है, लेकिन  इन डाक्टरेट छात्रों ने अपने विश्वविद्यालय के आसपास के क्षेत्रों के विकास के लिए क्या रिसर्च किया या इनके रिसर्च का इनके विश्वविद्यालय के आसपास के पिछड़े क्षेत्रों तथा लोगों के जीवन पर क्या सकारात्मक या विकासात्मक प्रभाव पड़ा, यह भी सोचना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मात्र डिग्रियां बांटना ही शिक्षण संस्थानों का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। हमें यह भी सोचना होगा कि छात्रों की शिक्षा का समाज पर कितना रचनात्मक प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि शिक्षित लोगो को श्रम करने का भी अभ्यास होना चाहिए। शिक्षा के साथ श्रम तथा कर्मठता की आदत यदि युवाओं में डाल दी जाए तो यह राज्य तथा देश के लिए एक बहुत बड़ा उपहार होगा।  उन्होंने कहा कि यदि शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार दिए जाए तो शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो जाएगा। राज्य में मद्यपान को रोकने में सरकारी प्रयासों के साथ ही घर के स्वस्थ वातावरण, आदर्श संस्कार तथा माताओं की रचनात्मक व महत्वपूर्ण भूमिका है। इस अवसर पर विधायक विनोद कण्डारी, महेन्द्र भटट, अपर निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल,  अनिल गोयल,  पंकज गुप्ता आदि उपस्थित थे।

 

One thought on “सरकार तो ठेके बंद करा दें पर शराबियों को कौन समझाए

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