जब भाषण अधूरा छोड़ बैठे अटल.. फिर दिया वरूणावत पैकेज

अटल

राजीव रावत

कारगिल, पोखरण और शाईनिंग इंडिया का दौर…. अटल जी प्रधानमंत्री के रूप में उत्तराखंड आ रहे थे । लोकसभा के आम चुनाव मुहाने पर थे… देहरादून का परेड मैदान बमुश्किल आधा ही भरा था, राज्य भाजपा के नेताओं के माथों पर चिंता की शिकन उभरने लगी, लेकिन अचानक ढोल-नगाड़ों और रणसिंघों की थाप के साथ गगनभेदी नारे धंटाधर की तरफ से सुनाई देने लगे… और आसमान में अटल जी के हेलीकाप्टर की आवाज आने लगी।

मंच से मंजर देख शायद अटल जी भी समझ गए कि…

अटल जी के मंच में पंहुचने से पहले परेड मैदान खचाखच भर चुका था। पांव रखने तक को जमीन बाकी नहीं थी, लोग आ ही रहे थे, बाहर की सड़के हों या गांधी पार्क के आसपास के इमारतें… हर छत भर चुकी थी, अटल जी गदगद थे… स्वागत की औपचारिता के बाद मंच पर जनवादी नेता मुन्ना सिंह चौहान को बुलाया गया, तो पूरे मैदान में जनवादी पार्टी के झण्डे दिखाई देने लगे, हर तरफ नारे गूंज रहे थे.. उत्तराखंड की शान है-मुन्ना सिंह चौहान है। मंच से मंजर देख शायद अटल जी भी समझ गए कि ये ऐतिहासिक भीड़ भाजपा कार्यकर्ताओं की नहीं .. वरन मुन्ना सिंह चौहान की है।

आखिर क्यों पहले विधानसभा चुनाव में लोगों ने भाजपा को हराया…

भाजपा की रैली में नीला-सफेद-लाल रंग वाले तिरंगे जनवादी झण्डे लोंगों के हाथ में देख अचानक अजीब सी स्थिति पैदा हो गई… कि अचानक… मंच से मुन्ना सिंह चौहान ने उत्तराखंड जनवादी पार्टी के भाजपा में विलय की घोषणा कर दी तो सारा मंजर बदल गये जनवादीयों के हाथों में अब भाजपा का झण्डा और मुख पर वाजपेयी के नारे थे।
खैर… अटल जी शायद समझ गये थे कि भाजपा के सारे दिग्गजों से अधिक जलवा एक अकेले मुन्ना का था… कोश्यारी के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी, वो भाजपा में जनवादी लोगों को लाने में सफल हुए… लेकिन अटल जी ने उत्तराखंड राज्य बनाया था उनको तो चिंता होनी ही थी कि आखिर क्यों पहले विधानसभा चुनाव में लोगों ने भाजपा को हरा दिया और राज्य निमार्ण जैसे सबसे बड़े तोहफे के बाद हो रहे लोकसभा चुनाव से पहले परेड मैदान गवाही दे रहा था कि अकेला मुन्ना उत्तराखंड भाजपा के सारे नेताओं पर भारी पड़ रहा था।

मैं भी था उस हुजूम दर्शक…

उस हुजूम का मैं भी एक दर्शक था। अटल से बेहतर औरेटर मैंने तो अभी तक नहीं देखा है, वो भीड़ के मिजाज को समझते थे, अटल जी ने भाषण शुरू किया… पोखरण, कारगिल, विदेशी मुद्रा भण्डार, कम्यूटर तक तो सब कुछ ठीक था पर जब किसान क्रेडिट कार्ड जैसी बात होने लगी तो मैदान के बीच से कुछ लोग आधे भाषण में ही उठने लगे…. बहुत दावे तो नहीं, पर जितना मैं समझ रहा था उनमें से अधिकांश धोती, पायजामे वाले थे जैसे कि हरिद्वार और मैदानी इलाके के किसान । उनकी संख्या 5-7 हजार ही रही होगी, पर…. अटल की नजर उन पर पड़ गयी थी। और दुनिया के सबसे शानदार वक्ताओं में से एक अटल के भाषण की लय प्रभावित होने लगी, वो जननेता थे, भीड़ की पीठ देख बोलते रहना उनके मिजाज में नही था… हालाकिं हजारों लोग उन्हें और सुनने के लिए लालायित थे पर अटल… वही भाषण समाप्त कर अपनी कुर्सी में बैठ गये। तो मैदान खाली होने लगा, मंच पर कुछ भाजपा नेता हिम्मत करके प्रधानमंत्री के पास गये.. कुछ बात हुई और फिर माईक से लोगों को रोकने की आवाज आई भीड़ वापस मुड़ी और प्रधानमंत्री वाजपेयी ने तबाही झेल रहें उत्तराकाशी के लिए वरूणावत पर्वत के ट्रीटमैंट के लिए पैकेज का एलान किया ।

देश के मिजाज को भी भापना यही उनकी महानतान थी…

भाषण अधूरा छोड़ बैठ जाना…..अटल जी के लिए सामान्य बात नहीं थी, करोड़ों के वरूणावत पैकेज की घोषणा करना भूल जाना कोई साधारण बात नहीं थी। लेकिन शाईनिंग इंडिया के कैंपेन के बीच, अपने ही बनाए हुए राज्य में जनसामान्य के मिजाज को देख शायद अटल जी देश के मिजाज को भी भांप गये होंगे….. यही उनकी महानता भी थी ।