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राजकीय सम्मान के साथ पंच तत्व में विलीन हुए वृक्षमानव विश्वेश्वर दत्त सकलानी
ऋषिकेश: उत्तराखंड में वृक्षमानव के नाम से प्रसिद्ध विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने कल टिहरी के सकलाना पट्टी के पुजार गांव में अंतिम सांस ली थी। जिसके बाद आज ऋषिकेश के श्मशान घाट में उनको पूरे राजकीय सम्मान के साथ मुखाग्नि दी गयी। उनके बड़े बेटे विवेक सकलानी ने उन्हें मुखाग्नि दी। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, पुलिस क्षेत्राधिकारी नरेंद्र नगर जेपी जुयाल, थानाध्यक्ष मुनि की रेती आरके सकलानी सहित उनके गांव से आए विभिन्न लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वही चंबा पुलिस लाइन शायरी सलामी गारद की टुकड़ी ने शस्त्र झुका कर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की।
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पूरे उत्तराखंड में वृक्षमानव के नाम से जाने जानें वाले विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने अपने पूरे जीवन काल में 50 लाख से ज्यादा पौधे लगाए थे। टिहरी के सकलाना पट्टी के पुजार गांव में जन्मे वृक्ष ऋषि विशेश्वर दत्त सकलानी का जन्म दो जून 1922 को हुआ। बचपन से ही बाप-दादा की पर्यावरण संरक्षण की कहानियां सुनकर विशेश्वर दत्त को प्रकृति प्रेम की प्रेरणा मिली।
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यही कारण है कि उन्होंने आठ साल की छोटी सी उम्र से पेड़ लगाने शुरू कर दिए। उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर योगदान दिया। देश की आजादी की खातिर उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।उनकी कड़ी मेहनत के बाद सकलाना घाटी की तस्वीर बदल गई। दरअसल, छह-सात दशक पूर्व तक यह पूरा इलाका वृक्ष विहीन था। धीरे-धीरे उन्होंने बांज, बुरांश, सेमल, भीमल और देवदार के पौधे लगाना शुरू किया।