उत्तरखंड विधानसभा: हंगामे की भेंट चढ़ा प्रश्नकाल
देहरादून
कांग्रेस के भारी हंगामे के बीच सदन में प्रश्नकाल नहीं हो सका। कांग्रेसी विधायकों ने किसानों के कर्ज माफी के वायदे को मुद्दा बनाकर नियम-310 के तहत चर्चा की मांग की। मांग के समर्थन में कांग्रेसी विधायकों ने वेल में आकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। भारी हंगामे के बीच स्पीकर को सदन कई बार स्थगित करना पड़ा।
प्रश्न प्रहर शुरू होते की नेता प्रतिपक्ष डा. श्रीमती इंदिरा हृदयेश ने नियम-310 के तहत किसानों के कर्ज माफी मामले में चर्चा कराने की मांग की। स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रश्नकाल के बाद नियम-58 के तहत ग्राह्यता पर चर्चा की बात की। लेकिन कांग्रेसी विधायक अपनी जिद पर अड़े रहे। सत्ता पक्ष की ओऱ से भी इस मांग का विरोध किया गया। सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने भी सदन चलने देने का आग्रह किया। भारी हंगामा होता देख स्पीकर ने सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। बाद में स्थगन 15 मिनट और बढ़ाया गया।
सदन की कार्य़वाही शुरू होते ही कांग्रेसी अपनी मांग के समर्थन में फिर से वेल में आ गए। एक बार फिर से भारी हंगामा शुरू हो गया। स्पीकर से सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। इस बीच प्रश्नकाल समाप्त हो गया। कार्य़वाही शुरू होते ही कांग्रेसी फिर से वेल में आ गए और नारेबाजी की। कांग्रेसी विधायकों की ओर से कहा गया कि रुड़की में किसान सड़कों पर है। इस मुद्दे पर तो सदन और सरकार को कांग्रेस के साथ आना ही चाहिए। स्पीकर ने इसके बाद नियम-310 के तहत ही सूचना की ग्राह्यता पर चर्चा कराने का विनिश्चय दिया।
बाद में चर्चा में हिस्सा लेते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि चुनाव के वक्त पीएम मोदी ने किसानों के कर्ज की माफी और उपज में लाभांश देने की वायदा किया था। यूपी की मोदी सरकार पहली कैबिनेट में ही इसका ऐलान भी कर चुकी है। लेकिन उत्तराखंड में अब तक इस मामले में कुछ नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अब केंद्रीय वित्त मंत्री कह रहे हैं कि राज्यों को अपने स्तर से ही संसाधन जुटाने होंगे। उन्होंने कहा कि यह वायदा पीएम मोदी ने किया है। लिहाजा केंद्र सरकार को इस उत्तराखंड की मदद करनी ही होगी। सत्ता पक्ष के विधायकों की टोकाटोकी के बीच कांग्रेस की ओर से में विधायक करन मेहरा, हरीश धामी, मनोज रावत, ममता राकेश, काजी निजामुद्दीन, गोविंद सिंह कुंजवाल, आदेश चौहान, राजकुमार ने किसानों की स्थिति को बयां किया।
चर्चा का उत्तर देते हुए संसदीय कार्य़मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि पिछली सरकार ने अनाप-शनाप कर्ज लेकर राज्य की वित्तीय स्थिति को बेहद कमजोर कर दिया है। फिर भी सरकार के स्तर पर परीक्षण किया जा रहा है कि किसानों की आर्थिक स्थिति को कैसे संभाला जाए। सरकार के जवाब के असंतुष्ट कांग्रेसी विधायकों ने फिर से हंगामा किया और बाहर चले गए। इसके बाद स्पीकर ने सूचना को अग्राह्य कर दिया और आगे की कार्यवाही शुरू कर दी।
सत्ता पक्ष ने विधायक कर्णवाल से संभाला मोर्चा
सदन में आज कांग्रेसी विधायकों के हंगामे पर सत्ती पक्ष की ओर से भी टिप्पणियां की गईं। लेकिन भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल पूरी तरह से मोर्चा संभाले रहे। उन्होंने कांग्रेस पर दलित विरोधी होने की आरोप लगाया। एक तरफ कांग्रेसी विधायक हल्ला करते रहे तो दूसरी और कर्णवाल अकेले की अपने अंदाज में चिल्लाते रहे। कर्णवाल की इस स्थिति पर सत्ता पक्ष के विधायक भी चटखारे लेते रहे। एक बार तो कर्णवाल ने मंत्री की ओर से दिए लिखित सवाल को ही तेज आवाज में पढ़ना शुरू कर दिया। सदन में आज उस वक्त अजीब स्थिति हो गई, जबकि भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने स्पीकर को संबोधित करते हुए कहा कि मान्यवर पहले यह तय हो जाए कि लीडर अपोजीशन आखिर है कौन। दरअसल, स्पीकर की पीठ ने विनिश्चय आने के बाद नेता प्रतिपक्ष ने अपने साथी विधायकों को वेल से बुलाने की कोशिश की। लेकिन विधायक नारेबाजी करते रहे। बाद में कांग्रेसी विधायकों को नेता प्रतिपक्ष ने उनकी सीट पर बैठने को कहा।