VIDEO: सुपौल में पिछले पंद्रह सालों से कागजों पर आंगनबाड़ी केंद्र

रिपोर्ट: शिवशंकर ‘पीयूष’ 

बिहार: आंगनवाडी भारत में ग्रामीण माँ और बच्चों के देखा भाल केंद्र है। बच्चों के भूख और कुपोषण से निपटने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के भाग के रूप में, 1985 में उन्हें भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया था। लेकिन हमारे भारत में अभी भी ऐसी जगह है जहां अभी तक इसकी सुख सुविधा पहुचीं ही नहीं है।

बिहार में सुपौल जिला कुपोषण के मामलें में अव्वल नम्बर…

जहाँ सरकार स्वास्थ , शिक्षा और समाज कल्याण विभाग जैसी योजनाओं पर हर साल करोड़ों रूपये खर्च कर रही है। वहीं सुपौल में पिछले 15 सालों से एक भी आंगनबाड़ी केन्द्र ही नहीं खुला है। जबकि बिहार में सुपौल जिला कुपोषण के मामलें में सबसे अव्वल नम्बर पर है।

वार्ड 2 में आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या 256 पंद्रह सालों से बंद…

कुपोषण की लड़ाई में आंगनबाड़ी केन्द्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हर वार्ड में आंगनबाड़ी केन्द्र की स्थापना कर उस वार्ड के 40 कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों और 16 धात्रियों और गर्वभती महिलाओं को पोषण देने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है ताकि राज्य में स्वस्थ बच्चे पैदा हो सकें और उनका सही विकास हो सकें। लेकिन सुपौल जिला मुख्यालय का नगर परिषद के वार्ड 2 में आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या 256 पंद्रह सालों से बंद पड़ा है। लिहाजा वार्ड में आज भी कुपोषित बच्चें इस बात का प्रमाण दे रहे है।