उत्तराखंड: कौन बनेगा BJP प्रदेश अध्यक्ष ||Nation One||
देश की राजनीति हो या राज्य की राजनीति प्रतिनिधित्व करने वाला चेहरा अगर दमदार हो तो पार्टी किसी भी राज्य में जीत सकती है…
आपको बता दे उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की तैनाती के साथ ही दावेदारी को लेकर जोड़ तोड़ शुरू हो गई है। संगठन के भीतर जो नाम चर्चाओं में हैं, उनमें संगठन के बड़े नेताओं के अलावा सांसद, मंत्री और विधायकों के नाम शामिल हैं।
चूंकि 2022 के विधानसभा चुनाव वर्तमान में चुने गए प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में होने हैं, इस लिहाज से ये पद काफी अहम हो गया है।
पार्टी को 15 दिसंबर तक प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कराना है। पार्टी का भरपूर प्रयास है कि नीचे से लेकर ऊपर तक रायशुमारी के साथ चुनाव हो। बूथ से लेकर मंडल स्तर तक के चुनाव पार्टी इसी नीति के तहत निपटा चुकी है।
पार्टी का जोर संगठन की बागडोर ऐसे चेहरों के हाथों में सौंपने का है जो अनुभवी होने के साथ ही चातुर्य में बेजोड़ हों। साथ ही क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों की कसौटी पर खरे उतरते हों।
इन तमाम आधारों पर जो नाम पार्टी के भीतर चर्चाओं में हैं, उनमें कुमाऊं मंडल से वर्तमान अध्यक्ष और सांसद अजय भट्ट का नाम पहले स्थान पर है।
जातीय समीकरण के हिसाब से इस बात की संभावना है कि नया प्रदेश अध्यक्ष कुमाऊं से हो और ब्राहमण हो।
वहीं दूसरा नाम कालाढुंगी विधायक बंशीधर भगत का भी है।
उनके बाद एक नाम संघ पृष्ठभूमि से जुड़े कैलाश पंत का है, जो संगठन में लो प्रोफाइल में रहकर काम करने के लिए मशहूर हैं।
वहीं संघ से निकले केदार जोशी का नाम भी चर्चाओं में है।
विधायकों में दूसरा नाम कुमाऊं से ठाकुर नेताओं के तौर पर विधायक पुष्कर सिंह धामी का है। उनके अलावा पूर्व सांसद बलराज पासी का नाम भी सुर्खियों में है।
इनके अलावा एक नाम राजेंद्र भंडारी का भी है। जो वर्तमान में पार्टी के प्रदेश महामंत्री हैं। आरएसएस के प्रचारक रहे भंडारी वर्तमान में काफी अहम भूमिका में हैं।
अनुसूचित जाति के चेहरे के तौर पर अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा का नाम की भी खूब चर्चाओं में है।
गढ़वाल से जिन नेताओं के नाम प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए चर्चाओं में हैं, उनमें ठाकुर नेता के तौर उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत का नाम सबसे ऊपर है।
वहीं ब्राहमण नेता के तौर पर ज्योति प्रसाद गैरोला का नाम चर्चाओं में है। गैरोला प्रदेश उपाध्यक्ष होने के साथ ही सरकार में दर्जाधारी नेता भी हैं। वे प्रदेश संगठन महामंत्री पद पर रहे हैं और उन्हें संगठन की गहरी समझ भी है।
हालांकि जिलाध्यक्ष पद के लिए पार्टी ने आयुसीमा का कोई ठोस मानक नहीं बनाया है, लेकिन चुनाव प्रभारियों को ये निर्देश दिए गए हैं कि वे युवा चेहरों को प्राथमिकता दें।