Uttarakhand Politics : आखिर क्यों ताबड़तोड़ मुलाकातें कर रहे हैं CM धामी ? नाराजगी या पार्टी मैनेजमेंट | Nation One

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Uttarakhand Politics : उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के बाद से सियासी गलियारों में लगातार हलचल तेज है।

कभी कांग्रेस अपनी सरकार बनने का दावा कर रही हैं, तो बीजेपी ‘अबकी बार 60 के पार’ के नारे के साथ अपनी सरकार बनने का दावा कर रही है।

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राज्य में 10 मार्च को नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा। इस पर भी बीजेपी और कांग्रेस में कई समीकरण सामने आ रहे है।

Uttarakhand Politics : मुलाकातों को लेकर कई तरह की चर्चाएं

वहीं इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य के कई सीनियर नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। चुनाव नतीजों से पहले हो रही इन मुलाकातों को लेकर कई तरह की चर्चाएं भी चल रही हैं।

धामी पहले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक फिर त्रिवेंद्र सिंह रावत और अब तीरथ सिंह रावत से मिले हैं। तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों से मिलने के पीछे के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

वहीं सीएम धामी ने कहा कि वो सबसे मिलेंगे, जिनमें विजय बहुगुणा और दूसरे बड़े पदाधिकारियों का नाम भी शामिल है।

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बता दें कि रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत भाजपा के प्रदेश में बड़े चेहरे और प्रमुख रणनीतिकार माने जाते है, जो कि कई विधायकों का नेतृत्व भी करते आ रहे हैं।

ऐसे में किसी भी तरह के समर्थन की स्थिति में धामी के लिए ये चेहरे साथ होने जरुरी है। ऐसे में धामी का पूर्व मुख्यमंत्रियों से मिलना दूसरी पारी की फिल्डिंग सजाने की तैयारी मानी जा रही है।

Uttarakhand Politics : तीनों नेता हैं सक्रिय

प्रदेश भाजपा में राजनीति रूप से सक्रिय नेताओं में डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत ही इस समय सबसे बड़े चेहरे हैं। जिनकी विधायकों में भी अच्छी पेंठ मानी जाती है।

हाईकमान भले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ही सरकार बनाने का दावा करता आ रहा है। लेकिन परिणामों में किसी तरह के सहयोग के लिए दूसरे दलों पर निर्भरता बढ़ सकती है। ऐसी स्थिति में पार्टी को पुराने अनुभवी दिग्गजों की आवश्यकता पड़ेगी।

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ऐसे में पुष्कर सिंह धामी चुनाव निपटते ही तीनों दिग्गजों की शरण में पहुंचे। हालांकि मुख्यमंत्री ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया, लेकिन इस दौरान चुनावी समीकरणों पर भी बातचीत हुई है।

टिकट बंटवारे के बाद जिस तरह पार्टी में बगावती सुर नजर आ रहे थे, उसे दूर करने में डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत की अहम भूमिका मानी जा रही है। जिस कारण कई संभावित विधायक भी इन नेताओं की परिक्रमा कर रहे है।

Uttarakhand Politics : चुनाव बाद तीनों की हो सकती है अहम भूमिका

हाईकमान से सीधे संवाद ​स्थापित करने वाले निशंक, ​त्रिवेंद्र और तीरथ इस समय उत्तराखंड की राजनीति के अहम किरदार माने जा रहे हैं।

डॉ रमेश पोखरियाल निशंक जोड़ तोड़ और दूसरे दलों के नेताओं से संपर्क करने में माहिर माने जाते हैं। जबकि त्रिवेंद्र का भाजपा के कई विधायकों में सीधा संवाद रहता है। अक्सर नाराजगी दर्ज कराने वाले विधायक त्रिवेंद्र रावत से अपनी पीड़ा जरुर शेयर करते है।

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वहीं तीरथ सिंह रावत के भी विधायकों के साथ अच्छी खासी पकड़ है। वे पूर्व में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहने से उनकी राजनीति में पकड़ तेज है। साथ ही अपने मिलनसार रवैये के कारण वह जनता के बीच भी काफी लोकप्रिय है।

ऐसे में धामी के लिए इस समय तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों का साथ होना जरुरी बताया जा रहा है। जिस वजह से धामी फिलहाल तीनों मुख्यमंत्रियों की शरण में पहुंच चुके हैं।

Uttarakhand Politics : डेमेज कंट्रोल में माहिर हैं तीनों नेता

भाजपा में प्रथम पंक्ति के सीनियर नेताओं में निशंक, त्रिवेंद्र और तीरथ ही आते हैं। जो कि पार्टी के डेमेज कंट्रोल को रोकने के अलावा दूसरी परिस्थितियों को भी हैंडल कर सकते हैं।

चुनाव में भी डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने घोषणा पत्र को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई, जबकि त्रिवेंद्र रावत ने कई सीटों पर प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार-प्रसार किया।

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इस तरह से तीनों नेताओं को प्रदेश में चुनाव के बाद होने वाले राजनीतिक समीकरणों को लेकर भी खासा अनुभव हो सकता है।

इसके साथ ही तीनों को बतौर मुख्यमंत्री प्रदेश का नेतृत्व करने का भी अच्छा अनुभव है। जिसका लाभ धामी को मिल सकता है।

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