उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित भारत-तिब्बत के बीच गर्तांग गली पर्यटकों के लिए दी गई है। बुधवार को उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने इसको लेकर आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि पर्यटकों को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करवाने के लिए भैरवघाटी के पास चेक पोस्ट बनाकर यात्रियों का पंजीकरण किया जाए, और एक बार में गर्तांग गली में सिर्फ 10 पर्यटक को ही जाने की अनुमति है।

कब बनाई गई गर्तांग गली?
बता दें कि उत्तरकाशी जिले की हरसिल घाटी को क्षेत्र नेलांग और जादुंग से जोड़ने के लिए खड़ी पथरीली चट्टानों को काटकर गर्तांग गली का निर्माण किया गया था। गरतांग गली बनने से पहले नेलांग जाने का रास्ता बेहद दुर्गम था, जहां अक्सर आदमी मारे जाते थे।
जानकारी के लिए बता दें कि पहाड़ में रास्ता बनाने के लिये पेशावर के पठानों को बुलाया गया था क्योंकि उन्हें इस काम का अच्छा तजुर्बा हुआ करता था। बता दें कि इस गली के जरिए भारत और तिब्बत के बीच में व्यापार भी होता था और सेना के द्वारा भी इस गली का उपयोग आवागमन के लिए किया जाता था। दरअसल जीर्ण शीर्ण हो जाने के कारण गली से आवागमन को रोक दिया गया। वहीं अब गली का पुनर्निर्माण कर इसे पर्यटन के लिए खोल दिया गया है।