Uttarakhand : उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता में ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के मुद्दे पर नैनीताल स्थित हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 6 महीने बाद होगी। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने याचिकाओं में लगाए गए आरोपों पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। बता दें कि यूसीसी से जुड़े लिव इन रिलेशनशिप के प्रावधानों को नैनीताल हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और जस्टिस आशीष नैथानी की खंडपीठ ने सुनवाई की।
इस मामले में भीमताल के रहने वाले सुरेश सिंह नेगी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है। उन्होंने समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) के विभिन्न प्रावधानों को जनहित याचिका दाखिल कर चुनौती दी है। खास तौर पर लिव इन रिलेशन को लेकर जो प्रावधान यूसीसी में बनाए गए हैं, उन पर सवाल उठाए गए हैं।
याचिका में हवाला दिया गया है कि पारसी, मुस्लिम आदि धर्मों की वैवाहिक पद्धति की अनदेखी की गई है। इसके अलावा देहरादून के रहने वाले एलमसुद्दीन सिद्दीकी ने भी उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर यूसीसी के कई प्रावधानों को चैलेंज किया है।
सिद्दीकी ने आरोप लगाया है कि यूसीसी में अल्पसंख्यक समुदाय की अनदेखी की गई है। याचिकाकर्ता सुरेश सिंह नेगी ने लिव इन रिलेशनशिप को असंवैधानिक बताया है। याचिका में जिक्र किया गया है कि लिव इन रिलेशनशिप में लड़का-लड़की की शादी की उम्र 18 साल निर्धारित की गई है।
वहीं, कानूनी तौर पर शादी के लिए लड़के की उम्र 21 और लड़की की उम्र 18 साल होनी जरूरी है। सवाल उठाया गया है कि क्या उनसे पैदा होने वाले बच्चों को वैध माना जाएगा? याचिका में तलाक का हवाला दिया गया है। इसके अनुसार साधारण शादी में शख्स को तलाक लेने के लिए पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होता है।
Uttarakhand : लिव इन रिलेशन के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी
लिव इन रिलेशनशिप में कोई भी शख्स रजिस्ट्रार को आवेदन देकर करीब 15 दिन के भीतर अपने पार्टनर को छोड़ सकता है, यह सही नहीं है। बता दें कि 27 जनवरी 2025 से उत्तराखंड में यूसीसी प्रभावी हो चुका है।
इसके लागू होने के बाद अब लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया गया है। अगर कोई कपल इसका पालन नहीं करता तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। नियम का उल्लंघन करने पर 6 माह की जेल या 25 हजार रुपये जुर्माना और दोनों का प्रावधान भी है।
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