उत्तराखंड डिजिटल मीडिया संगठनों ने नई विज्ञापन दर पर जताई नाराजगी | Nation One
सूचना विभाग द्वारा बीते वर्ष श्रेणी क के समाचार पोर्टलों के हेडर विज्ञापनों के लिए 80 हजार रुपए मासिक की दर निर्धारित थी, उसमें 85 फीसद की कमी कर मात्र 12 हजार की दरों पर सहमति जताने के लिए चयनित समाचार पोर्टलों को लिखा है। इसे समाचार पोर्टलों ने उत्तराखंड की मौजूदा तीरथ सिंह रावत सरकार को फेल करने की साजिश करार दिया है।
समाचार पोर्टलों के स्वामियों व संपादकों की शनिवार शाम को आयोजित हुई बैठक में कहा गया कि यह तीरथ सरकार को फेल करने की बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा है। कुछ लोग चाहते हैं कि वर्तमान में सबसे पहले समाचार देने के कारण अन्य मीडिया माध्यमों के लिए आंखों की किरकिरी बने समाचार पोर्टल तीरथ सरकार से नाराज होकर उनके खिलाफ माहौल बनाएं और वह सरकार के हितैषी बनकर मोटे विज्ञापन अर्जित करें। इसलिए उन लोगों ने ही अपने लोगों के माध्यम से समाचार पोर्टलों के लिए शर्मनाक स्तर की न्यूनतम दरें दी हैं।
इस साजिश के खिलाफ शीघ्र ही प्रदेश के समाचार पोर्टलों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं सूचना सचिव व महानिदेशक से मिलकर साजिश का पर्दाफाश करेंगे, तथा यह जांचने का अनुरोध भी करेंगे कि सरकारी विज्ञापनों के लिए सूचीबद्ध समाचार पोर्टल क्या प्रदेश सरकार के विकास कार्यों को प्रमुखता से स्थान देते है।
इस बात पर भी सवाल उठाए कि गत वर्ष केवल उत्तराखंड के समाचार पोर्टल ही राज्य में विज्ञापन मान्यता हेतु आवेदन कर सकते थे, परंतु पिछले सूचना महानिदेशक पंकज कुमार पांडेय ने बड़ी चालाकी से राज्य के बाहर के समाचार पोर्टलों के लिए भी रास्ता खोल दिया।
इस कारण उत्तर प्रदेश के कई तथा उत्तराखंड के भी कई ऐसे पोर्टलों को सूचीबद्ध कर दिया गया है जो उत्तराखंड से संबंधित समाचार ही नहीं लगाते हैं। उनमें पूरे प्रदेश की राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक व अन्य विभिन्न गतिविधियों सम्बन्धी एक भी खबर प्रकाशित नहीं हुई है।
उत्तराखंड के न्यूज पोर्टलों के विभिन्न संगठनों द्वारा शनिवार शाम उत्तराखंड वेब मीडिया एसोसिएशन द्वारा आयोजित वर्चुअल बैठक में भागीदारी निभाते हुए कहा कि वर्तमान में जो विज्ञापन दर ई-टेंडर प्रक्रिया के बाद सामने आई हैं वह सीधे-सीधे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की सरकार को फेल करने की साजिश का हिस्सा है।
इस विज्ञापन प्रक्रिया को देखकर पत्रकार संगठन अपने को ठगा हुआ व अपमानित महसूस कर रहे हैं। पत्रकारों ने इस ई-टेंडर प्रक्रिया की स्वीकार्यता पर कई प्रश्न चिह्न लगाए व शंका जताई कि यह प्रक्रिया बिना विभागीय मिलीभगत के हो ही नहीं सकती थी।
सभी ने कहा कि जब सोशल मीडिया का प्लेटफॉर्म उत्तराखंड के पत्रकारों हेतु विशेष रूप से तैयार किया गया था तब उसमें साफ-साफ शर्त लिखी गयी थी कि इसमें प्रदेश से बाहर के किसी भी न्यूज पोर्टल को स्थान नहीं दिया जाएगा, लेकिन पूर्व महानिदेशक सूचना पंकज पांडे के समय यह शर्त बेहद सफाई से हटा दी गयी और इसमें बदलाव किया गया।
कहा गया कि विभाग में ही कुछ भ्रष्ट व करप्ट अधिकारी हैं जो किसी भी हद तक जाकर यह चाहते हैं कि पत्रकार त्रस्त होकर मुख्यमंत्री तीरथ के पक्ष की जगह उनके विपक्ष में खबरें लगाए।
उत्तराखंड वेब मीडिया एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज इष्टवाल ने कहा कि यह वर्चुअल बैठक इसलिए आहूत की गई थी, क्योंकि इस बार 345 न्यूज पोर्टल्स सूचीबद्ध की श्रेणी में शामिल किए गए हैं व जिनमें से ज्यादात्तर न्यूज पोर्टल्स द्वारा वर्तमान में जारी विज्ञापन दर पर नाराजगी जाहिर करते हुए विरोध दर्ज करते हुए इसे सरकार विरोधी करार दिया है।
उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि जिन्होंने भी ऐसी शर्मनाक दरें डाली हैं वह सत्तारूढ़ दल के अंदरूनी कलह या उत्तराखंड के आगामी चुनाव में ताल ठोक रहे किसी बड़े राजनैतिक दल के इशारे पर किसी बड़ी साजिश के तहत किया गया कार्य बताया है।
इस वर्चुअल बैठक में वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र उनियाल, अविकल थपलियाल, घनश्याम जोशी, हर्षवर्धन पांडे, विनोद भगत, पंकज पंवार, आलोक शर्मा, डॉ. नवीन जोशी, चन्द्रशेखर जोशी व शैलेश नौटियाल सहित पूरे प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकारों ने शिरकत की।