Uttarakhand : चालदा महासू महाराज की डोली यात्रा खत पट्टी के लिए रवाना, उमड़े हजारों श्रद्धालु | Nation One
Uttarakhand : जौनसार बावर आदिवासी अंचल के अधिष्ठाता देवता चालदा महासू महाराज डेढ़ साल तक समाल्टा में विराजमान रहने के बाद बिते दिन यानि 29 अप्रैल को दसऊ गांव के लिए प्रस्थान कर चुके है। महाराज के प्रस्थान के समय भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
बता दें कि छत्रधारी चालदा देवता का प्रवास किसी भी क्षेत्र के लिए अहम होता है। बिते दिन तक छत्रधारी चालदा देवता समाल्टा में थे। तो वहीं 29 अप्रैल को समाल्टा मंदिर से देवता प्रवास खत्म कर दसऊ गांव के लिए प्रस्थान कर दिया है। इस अवसर पर प्रदेश के पर्यटन, लोक निर्माण, सिंचाई, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने धार्मिक आयोजन में प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर सतपाल महाराज ने कहा कि महासू देवता जौनसार बाबर जनजाति क्षेत्र ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश तक माने जाने वाले देवों के देव इष्ट देव हैं। उन्होंने बताया कि चार भाई महासू में से चालदा महासू महाराज पवित्र मोहना धाम के भवन में विराजमान थे जो कि अब यहां से समाल्टा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं।
Uttarakhand : हमेशा चलायमान रहते है चालदा देवता
जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर के कुल आराध्य देवता चार भाई हैं। इनमें से सबसे छोटे भाई चालदा देवता हैं। चालदा देवता हमेशा चलायमान रहते हैं, जो प्रवास के दौरान किसी खत पट्टी में दो साल, कहीं एक साल, तो कहीं डेढ़ साल तक रहते हैं। देवता का प्रवास जौनसार बावर में बड़ा आयोजन माना जाता है। प्रवास का लंबा इतिहास है।
छत्रधारी चालदा देवता 30 नवंबर 2018 में कोटी कनासर गांव में विराजमान हुए। 20 नवंबर 2019 को कोटी कनासर से प्रस्थान हुआ। 23 नवंबर 2019 मोहना गांव में विराजमान हुए। 22 नवंबर 2021 प्रवास खत्म हुआ। 23 नवंबर 2021 को खत पट्टी समाल्टा मोरी में विराजमान हुए।
29 अप्रैल तक 17 महीने 7 दिन का प्रवास है। 29 अप्रैल को समाल्टा मंदिर से खत पट्टी दसऊ गांव के लिए प्रस्थान कर दिया है। रात्रि प्रवास पर नराया गांव में दो दिन रहेंगे। जिसके लेकर प्रशासन ने भी शांति व्यवस्था बनाए रखने की तैयारियां पूरी कर ली हैं।
Also Read : Uttarakhand : बदरीनाथ धाम में स्वच्छता के लिए आगे आए आईटीबीपी के जवान, पढ़ें पूरी खबर | Nation One