2022 के Election से पहले का सियासी संकेत होगा यूपी का विस उपचुनाव | Nation One
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मंगलवार को सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान चल रहा है. इसमें जहां छह सीट भाजपा और एक सीट सपा के पास रही है वहीं, उपुचनाव में भी इन सीटों पर भाजपा व सपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. कांग्रेस और बसपा के पास खोने के बजाय पाने का ही मौका है. भाजपा सातों सीटों पर चुनाव लड़ रही है तो सपा छह पर मैदान में है जबकि, इसके इतर इस बार बसपा सातों सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस भी इस बार पूरे जोश के साथ मैदान में है. उसने छह सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं. सपा ने बुलंदशहर सीट अपने सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल को सौंप दी है तो कांग्रेस के प्रत्याशी का टूंडला सुरक्षित सीट से नामांकन ही खारिज हो गया. इन उपचुनावों को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले का सियासी संकेत माना जा रहा है.
इन सात सीटों पर हो रहा है उपचुनाव
नौगावां सादात: अमरोहा जिले की नौगावां सादात सीट पर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह भाजपा और सपा के बीच सीधे मुकाबले के आसार हैं। बसपा इस बार चुनाव को त्रिकोणात्मक बना रही है. पूर्व क्रिकेटर व मंत्री चेतन चौहान के निधन के कारण हो रहे उपचुनाव में भाजपा ने उनकी पत्नी संगीता चौहान को उम्मीदवार बनाया है. सपा ने मौलाना जावेद आब्दी तथा बसपा ने फुरकान अहमद को मोर्चे पर लगाया है.
बुलंदशहर: बुलंदशहर सदर सीट पर विधायक और पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिरोही के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है. यहां पर काफी दल मैदान में हैं. भाजपा ने उनकी पत्नी उषा सिरोही को प्रत्याशी बनाया है. सपा ने गठबंधन में यह सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ी है। रालोद ने पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री जगवीर सिंह के बेटे प्रवीण कुमार सिंह को मैदान में उतारा है. बसपा ने यहां से पूर्व विधायक हाजी अलीम के भाई हाजी यूनुस और कांग्रेस ने सुशील चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. असदउद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने रियाजुद्दीन और भीम आर्मी चलाने वाले चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी ने हाजी यामीन को मैदान में उतारा है.
टूंडला: फिरोजाबाद जिले में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित टूंडला सीट पर भाजपा से प्रेमपाल धनगर, सपा से महाराज सिंह धनगर, बसपा से संजीव और कांग्रेस से स्नेहलता उर्फ बबली चुनाव मैदान में हैं. इस बार यहां कांटे की टक्कर के आसार है. इस सीट से भाजपा ने नए चेहरे प्रेमपाल धनगर तो सपा ने महाराज सिंह धनगर पर दांव लगाया है. बसपा से संजीव चक और कांग्रेस से स्नेहलता उर्फ बबली चुनाव मैदान में हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां से एसपी सिंह बघेल विधायक चुने गए थे. वह यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वह आगरा से सांसद चुन लिए गए. टूंडला विधानसभा क्षेत्र से उनके इस्तीफे के बाद उपचुनाव हो रहा है.
मल्हनीः जौनपुर जिले की मल्हनी सीट पर सपा नेता पारसनाथ यादव के वारिस लकी यादव का राजनीतिक भविष्य तय करेगी. मुलायम सिंह यादव तथा अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पारसनाथ यादव के निधन के कारण होने वाले यहां के चुनाव में भाजपा ने नया प्रत्याशी उतारा है तो दबंग निर्दलीय धनंजय सिंह ने भी मजबूत कदम बढ़ाया है. बसपा ने जयप्रकाश दुबे और कांग्रेस ने राकेश मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है.
देवरियाः देवरिया सदर सीट पर भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं. यह इत्तेफाक है कि सभी प्रत्याशी त्रिपाठी हैं. भाजपा ने डॉ. सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी तो सपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. कांग्रेस से मुकुंद भाष्कर मणि त्रिपाठी और बसपा से अभयनाथ त्रिपाठी मैदान में हैं. सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए अभयनाथ 2017 में भी बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े थे. वह तीसरे नंबर पर रहे थे. यहां अति पिछड़े व वैश्य वोटर निर्णायक हो सकते हैं.
बांगरमऊः उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर कांग्रेस की पूर्व सांसद अन्नू टंडन मतदान से एक दिन पहले सपा की साइकिल पर सवार हो गईं. भाजपा ने पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीकांत कटियार, सपा ने सुरेश पाल, बसपा ने महेश पाल और कांग्रेस ने पूर्व मंत्री गोपीनाथ दीक्षित की बेटी आरती वाजपेयी को उम्मीदवार बनाया है. 2017 के चुनाव में भाजपा ने पहली बार यहां जीत दर्ज की थी. सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कुलदीप सेंगर ने 87,657 वोट हासिल कर भाजपा को जीत दिलाई थी. कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा होने के बाद यहां उपचुनाव हो रहे हैं.
घाटमपुरः कानपुर के घाटमपुर में प्रदेश सरकार की मंत्री कमलरानी वरुण के निधन के कारण चुनाव हो रहा है. यहां भाजपा से उपेंद्रनाथ पासवान, सपा से पूर्व विधायक इंद्रजीत कोरी, बसपा से कुलदीप शंखवार और कांग्रेस से डॉ. कृपा शंकर उम्मीदवार हैं. यहां सर्वाधिक मतदाता दलित समाज के हैं.
बहरहाल, चुनाव नतीजे जो भी रहें पर चुनाव दिलचस्प हो रहा है. भाजपा ने ही इन सीटों पर सबसे ज्यादा ताकत झोंकी. मुख्यमंत्री व दो-दो उपमुख्यमंत्री तक चुनाव प्रचार में लगे रहे. यूपी में सरकार भी उसी की है और इस चुनाव में भी प्रतिष्ठा लगी है. बाकी दलों के बड़े नेताओं के बजाय प्रत्याशी और कार्यकर्ता ही पूरे जोश के साथ प्रचार में लगे रहे.