UGC Final Year Exams : परीक्षाओं पर फिर टला सुप्रीम कोर्ट का फैसला | Nation One

नई दिल्ली | फाइनल ईयर की परीक्षाओं पर फैसले का इंतजार कर रहे हैं देश भर के लाखों परीक्षार्थियों के लिए जरूरी खबर है। लेटेस्ट अपडेट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट आज इस संबंध में फैसला नहीं सुनाएगा। दरअसल मामला आज लिस्ट में नहीं है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि अब कोर्ट इस संबंध में किसी और दिन फैसला सुना सकता है।ऐसे में अब छात्रों को परीक्षाओं पर होने वाले फैसले के लिए थोड़ी और प्रतीक्षा करनी होगी।

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UGC की गाइडलाइन के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए 18 अगस्त को शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ कर रही है। इससे, पहले सोमवार को फैसला आने की संभावना जताई जा रही थी, किन्तु बाद में शीर्ष अदालत में वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने ट्वीट करते हुए बताया था कि अदालत बुधवार तक फैसला सुना सकती है।

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बता दें कि UGC ने 6 जुलाई को दिशानिर्देश जारी किए थे जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालयों को किसी भी हाल में पेन और पेपर या ऑनलाइन के माध्यम से 30 सितंबर, 2020 तक फाइनल ईयर की परीक्षा आयोजित करना अनिवार्य है। इसके तुरंत बाद कई याचिकाएं दायर की गई थी। इसमें विभिन्न राज्यों के 31 छात्रों और महाराष्ट्र की युवा सेना द्वारा दायर एक याचिका शामिल थी। सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई से इस मामले की सुनवाई शुरू की थी।

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दायर याचिका में स्टूडेंट्स ने फाइनल ईयर की परीक्षा रद्द करने की मांग की है। इसके साथ ही स्टूडेंट्स ने आंतरिक मूल्यांकन या पिछले प्रदर्शन के आधार पर पदोन्नत करने की भी मांग की है। इससे पहले पिछली सुनवाई में, यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा था कि राज्य नियमों को बदल नहीं सकते हैं और परीक्षा ना कराना छात्रों के हित में नहीं है। 31 छात्रों की तरफ से केस लड़ रहे अलख आलोक श्रीवास्तव ने कहा है कि, हमारा मसला तो यह है कि UGC की गाइडलाइंस कितनी लीगल हैं।

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बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने की मांग की थी। इसके अलावा, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी परीक्षा कराए जाने के यूजीसी के फैसले के विरोध में हैं। वहीं, शिवसेना की युवा शाखा ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सितंबर तक परीक्षा कराए जाने के निर्णय को चुनौती दी थी।