बिजनेस में सफलता के लिए ट्रेडमार्क को याद रखना होगा | Nation One
ट्रेडमार्क को याद रखने पर फेल नहीं होंगे अर्थात अपनी मूल पहचान और विशेषता पर फोकस रखना है। अपना ट्रेडमार्क याद रखने से हम अपनी स्टेज पर सेट रहते हैं। जिस प्रकार मशीन को सेट कर देने के बाद आटोमैटिक रूप में चलती रहती है, उसी प्रकार अपने ट्रेडमार्क के अनुसार, संकल्प, बोल और कर्म की सेटिंग इस प्रकार रखनी है कि वह आटोमैटिक राॅयल रूप में चलती रहे।
अपने ट्रेडमार्क को याद रखना आलमाइटी एथारिटी की स्मृति है। आलमाइटी एथारिटी की स्टेज पर रहकर हम ऐसे शब्द न बोलेंगे, ऐसे संकल्प न सोचेंगे और ऐसे कर्म न करेंगे जिसका किसी भी रूप मे कमजोरी से सम्बन्ध है। इसे हम अपना राॅयल रूप भी कह सकते हैं। जो व्यक्ति अपने राॅयल स्टेज में रहते हैं उनकी स्थिति का भी डगमग नहीं होती है।
राॅयल स्टेज में रहने से हमारी स्थिति डगमग नहीं होती है। क्योकि हम अपने ट्रेडमार्क या राॅयल स्टेज की प्रतिज्ञा रूपी स्वीच को इस प्रकार सेट रखते हैं कि हमारी अवस्था हमेशा अचल-अडोल बने रहे। यदि हम अपने स्वयं में निश्चय रखेंगे, निश्चय बुद्धि के साथ चलेंगे तब कभी हार का सामना नहीं होगा। निश्चय बुद्धि के लिए हिम्मत और उल्लास दोनों होना चाहिए। यदि हिम्मत है लेकिन उल्लास नहीं है तब हम अपने बिजनेस को प्रैक्टिकल रूप में शो नहीं कर पायेंगे। हिम्मत का सम्बन्ध अन्तर्मुखता से है और उल्लास का सम्बन्ध हर्षितमुखता और बहिर्मुखता से है। किसी प्रकार के बिजनेस में सफलता के लिए अन्तर्मुखता और बहिर्मुखता दोनों के जरूरत होती है।
अपने को ऐसे प्रजेन्ट करें कि लोगों के मुख से वाह-वाह निकले और लोग हमें कापी करना चाहें। जब कोई अच्छी बात होती है तब लोग न चाहते हुए भी उसकी कापी करने की इच्छा रखते हैं। ट्रेडमार्क को याद रखकर हमारी चाल-चलन की राॅयल स्टेज इस प्रकार बनी हों कि लोग दूर से ही देखकर कहें कि इन्हें कुछ विशेष प्राप्ति हुई है। विशेष प्राप्ति की स्मृति रखने पर हमारी चाल-चलन, नयन-चयन स्वतः राॅयल रूप में उमंग उत्साह से भरा होता है।
हमारे कार्य व्यवहार और बिजनेस में अनेक प्रकार के बाधायें आती हैं। इसलिए सभी प्रकार के कमजोरियों के बन्धनों की लिस्ट निकालकर चेक करना है कि अभी तक हमें कितनी कमजोरी से छुटकारा मिल चुका है और कितनी कमियों से छुटकारा मिलना शेष है।
ईगो, देह अभिमान सभी कमजोरियों और बंधनों फाउण्डेशन है। हम ईश्वरीय मद में अपने बुद्धि ज्ञान को मिक्स करके बहुत होशियार बनने की कोशिश करते हैं। इसे ज्ञान अभिमान या बुद्धि का अभिमान कहते हैं। यदि ज्ञान अभिमान को क्रास कर लें तब समस्या भी समाधान के रूप में नजर आयेगी और अकल्याण में भी कल्याण नजर आयेगा। किसी होपलेस केस को ठीक करना है। क्योंकि ठीक को ठीक करना, ठीक होकर ठीक से चलना यह कोई बड़ी बात नहीं है।
सभी प्रकार की परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमें एवररेडी बनकर हमेशा तैंयार रहना है। हम ऐसा नहीं कह सकते हैं कि हमें तो यह पता ही नहीं था कि ऐसा भी होता है। क्योंकि समय भी परीक्षा लेने के लिए नये-नये तरीके अपनाता है। इसलिए कब, क्यों, कैसे की भाषा समाप्त करनी है। क्या करें, कैसे करें, यह बहाने बाजी की भाषा है। प्रयास रखना है कि कोई भी परिस्थिति और वायुमण्डल हमें न बदल पाये, लेकिन हम सभी को बदलने की क्षमता रखते हैं।
अपने ट्रेडमार्क को पहचानकर राॅयल रूप में स्थित रहना सहज कर्म योगी की स्थिति है। यह निर्विकल्प समाधी की स्थिति और सहजयोगी की स्थिति है। यह युक्त-युक्त अर्थात योगयुक्त की अवस्था है, क्योकि योग युक्त की निशानी है युक्त-युक्त। यदि युक्त-युक्त संकल्प, बोल और कर्म नहीं हैं तब योग युक्त भी नहीं हैं। योग युक्त हैं तब अयुक्त कर्म, वाणी और संकल्प नहीं हो सकता है। जितना योग युक्त होंगे उतना बंधन मुक्त होंगे।
मनोज श्रीवास्वत, देहरादून