ग्रहों को अनुकूल बनाने को अपनाएं ये उपाय
व्यक्ति सफलता ,असफलता एवं स्वास्थ्य मे ग्रहो की स्थिति एवं चाल का काफी प्रभाव होता है। कुछ उपाय अपनाकर या अराध्य देवों की साधना के माध्यम से ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। जीवन को सुखमय बनाने के लिए भगवान को नियमित रूप से याद करना और उनकी पूजा करना बहुत जरूरी होता है। कई बार ऐसा होता है कि ग्रहों की चाल बदलने से जीवन में कष्टमय हो जाता है लेकिन ग्रहों की अनिष्टदायक स्थिति को मंगलमय बनाने के लिए कुछ सरल उपाय करें तो निश्चित ही हमें शुभदायक परिणाम प्राप्त होते हैं। जीवन में नए कार्य के प्रति बनाई गई योजनाओं में लाभ भी मिलता है।
ग्रहों की दशा को अनुकूल बनाने उपाय
- शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष पर जल, थोड़ा कच्चा दूध चढ़ाकर, सात परिक्रमा करके सूर्य, शंकर, पीपल- इन तीनों की सविधि पूजा करें तथा चढ़े जल को नेत्रों में लगाएं और पितृ देवाय नम भी 4 बार बोलें तो राहु-केतु, शनि-पितृ दोष का निवारण होता है।
- प्रात: उठते ही माता-पिता, गुरु एवं वृद्धजनों को प्रणाम करें और उनका आत्मिक आशीर्वाद प्राप्त करके दिन को सफल बनाएं। इसके साथ ही 5 सुगंधित अगरबत्ती लगाकर दिन की शुरूआत करें।
- प्रति दिन गाय को गुड़-रोटी दें। हो सके तो गाय का पूजन करके ’शनिवार के दिन यह कामधेनु वांछित कार्य करेगी’ ऐसी प्रार्थना मन में करें।
- प्रति दिन कुत्तों को रोटी खिलानी चाहिए और पक्षियों को दाना भी डालें तो शुभ है।
- घर आए मेहमानों की सेवा निष्काम भाव से करनी चाहिए क्योंकि अतिथि देवों भव यानी इसे भगवान के तुल्य माना गया है।
- हमेशा प्रातकाल भोजन बनाते समय माताएं-बहनें एक रोटी अग्निदेव के नाम से बनाकर घी तथा गुड़ से बृहस्पति भगवान को अर्पित करें तो घर में वास्तु पुरुष को भोग लग जाता है। इससे अन्नपूर्णा भी प्रसन्न रहती हैं।
- प्रात: स्नान करके भगवान शंकर के शिवलिंग पर जल चढ़ाकर 108 बार ’ॐ नम शिवाय’ मंत्र की पूजा से युक्त दंडवत नमस्कार करना चाहिए।
- स्नान के बाद प्रात सूर्यनारायण भगवान को लाल पुष्प चढ़ाकर एवं हाथ जोड़कर नमस्कार करना चाहिए।
- यथाशक्ति कुछ न कुछ गरीबों को दान देना चाहिए। प्रत्येक प्राणी पर दयाभाव के साथ तन-मन-धन से सहयोग यथायोग्य करना चाहिए। सेवा कर यश प्राप्ति की भावना नहीं रखें।
- पितृ दोष से मुक्ति के लिए नित्य महागायत्री के महामंत्र की नियमित साधना करें तथा श्री रामेश्वर धाम की यात्रा कर वहां पूजन करें।