गुरुवार को सतपाल महाराज ने ऋषिकुल मैदान में आयोजित तीन दिवसीय सद्भावना सम्मेलन के पहले दिन अपने अनुयायियों को संबोधित करते हुए कहा कि लोग अपने अंदर छिपी अध्यात्मज्ञान की शक्ति को जो आत्मबल मजबूत करे और समाज में प्रेम, शांति और सद्भावना का वातावरण बनाने के लिए एकजुट होकर आगे आए। मानव उत्थान सेवा समिति की ओर से आयोजित सम्मलेन में उन्होंने श्रद्धालुओं को आह्वान किया कि वे सभी तरह की संकीर्णताओं का त्याग करें और समाज में शांति और भाईचारे का माहौल बनाने के लिए आगे आए।
सतपाल ने कहा कि निसंदेह वैज्ञानिक और तकनीकी विकास के कारण मानव के भौतिक जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। लेकिन यह भी वास्तविकता है कि वह मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर विवेक शून्य होता जा रहा है। इससे सभी भय, घृणा, द्वेष, आतंकवाद और असुरक्षा के वातावरण में जी रहे है। वर्तमान समय में अध्यात्म ज्ञान के प्रचार प्रसार की नितांत आवश्यक्ता है। मानव उत्थान सेवा समिति इसी उद्देश्य से देश विदेश में नियमित सद्भावना प्रचार प्रसार के कार्यक्रम आयोजित करता आ रहा है। उन्होंने कहा कि धरती व आकाश सभी के लिए बना है। सूर्य की किरणें सभी पर सामान रूप से चमकती है। अग्नि, जल, वायु जैसी ईश्वर की बनाई हुई चीजें किसी से भेदभाव नहीं करती।
हमें आत्मज्ञान का लेना होगा सहारा
सतपाल महाराज ने कहा कि हमें आत्मज्ञान का सहारा लेना होगा। जब व्यक्ति के मन में शांति होगी तभी उसके परिवार, गांव, शहर, देश व समाज में शांति फैलेगी। उन्होंने कहा कि ईष्या, वैमनस्यता वदुर्भावना से किसी भी राष्ट्र व समाज का भला नहीं होता। दुर्भावना जहां राष्ट्र को सांस्कृतिक व आर्थिक रूप से कमजोर करती है। वहीं पारस्परिक प्रेम, शांति व सदभावना से राष्ट्र मजबूत होता है। जब समाजमें शांति होगी। तभी देश आर्थिक रूप से खुशहाल हो सकेगा।