कैबिनेट मंत्री व आध्यात्मिक गुरु सतपाल महाराज ने कहा है कि जिस प्रकार भागीरथ कर्म करके स्वर्ग की धारा गंगा को धरती पर ले आए थे, इसी प्रकार हम भी कर्म करके अपना कल्याण कर सकते है तथा राष्ट्र की उन्नति कर सकते है। कहा कि राष्ट्र की उन्नति के लिए हमें कर्मशील बनना होगा। यह बात उन्होंने शनिवार रात को ऋषिकुल मैदान में आयोजित सद्भावना सम्मेलन के समापन पर कही।
सतपाल महाराज ने कहा कि संत कबीर ने सधुक्कड़ी भाषा में जो कहा वह आज भी शोध का विषय है और विज्ञान की बिग बैंग (महाविस्फोट) थ्योरी की समझ विकसित करता है। जिस महाविस्फोट के बाद ब्रह्मांड का सृजन हुआ, उसके बारे में संकेत करते हुए गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते है कि सृष्टि के आदि में यह ज्ञान मैंने सूर्य को दिया था जो मनु, इच्छावाकू और राजऋषियों से होते हुए इसका विस्तार हुआ। कालान्तर में यह ज्ञान लुप्त हो गया। इसी को प्रतिपादित करने के लिए मेरा प्रादुर्भाव हुआ है।
आज हमारे देश में शिक्षा का है व्यापक प्रचार-प्रसार
भौतिक शिक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा को जरूरी बताते हुए महाराज ने कहा कि आज हमारे देश में शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार है। अनेक स्कूल, कालेज और विवि बड़ी तेजी से खुलते जा रहे है,लेकिन इस सबके बावजूद हम अपने स्वामी विवेकानंद, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई, मीरा बाई जैसी विभूतियों को पैदा नहीं कर पा रहे है। इसका एकमात्र कारण यह है कि आज हमनें ऋषि-मुनियों की शिक्षा अध्यात्मवाद को भुला दिया है।