भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (सोमवती पूर्णिमा) से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो रही है। मान्यता के अनुसार इन दिनों पूर्वजों को तर्पण और पिंडदान किया जाता है। श्राद्ध कराने से पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है।
24 सितंबर से आठ अक्टूबर तक श्राद्ध चलेंगे। पूर्वजों की पुण्यतिथि के हिसाब से पितृ विसर्जन करना चाहिए। वहीं जो लोग अपने मृत पूर्वजों की तिथि नहीं जानते, वह भी इन दिनों तर्पण करा सकते हैं। कहा कि पितरों को याद कर उनके पसंद के व्यंजन बनाएं। इसके बाद कौए को या फिर ब्राह्मण को खिलाएं। इससे पितृों का आशीष प्राप्त होता है।
27 को तृतीया, 28 को चतुर्थी , 29 को पंचमी (भरणी) का श्राद्ध , 30 को षष्ठी का श्राद्ध होगा। इस बार पितृ पक्ष में षष्ठी तिथि की हानि है। एक अक्टूबर को सप्तमी, दो को अष्टमी का श्राद्ध होगा। तीन अक्टूबर को नवमी (सौभाग्यवती स्त्रियों) का श्राद्ध किया जाएगा। चार को दशमी, पांच को एकादशी, छह को द्वादशी का श्राद्ध होगा। द्वादशी के दिन ही संन्यासी व वैष्णव का श्राद्ध किया जाएगा। सात को त्रयोदशी, आठ को चतुर्दशी का श्राद्ध होगा। चतुर्दशी के दिन उनका श्राद्ध होता है जिनकी मृत्यु किसी हादसे में हुई हो या फिर फिर शस्त्र से की गई हो। नौ अक्टूबर को अमावस्या का श्राद्ध किया जाएगा। पितृ विसर्जन अमावस्या इस दिन होगी।
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24 सितंबर -सोमवार पूर्णिमा श्राद्ध
25 सितंबर -मंगलवार प्रतिपदा श्राद्ध
26 सितंबर -बुधवार द्वितीय श्राद्ध
27 सितंबर -गुरुवार तृतीय श्राद्ध
28 सितंबर -शुक्रवार चतुर्थी श्राद्ध
29 सितंबर-शनिवार पंचमी श्राद्ध
30 सितंबर -रविवार षष्ठी श्राद्ध
1 अक्टूबर -सोमवार सप्तमी श्राद्ध
2 अक्टूबर -मंगलवार अष्टमी श्राद्ध
3 अक्टूबर -बुधवार नवमी श्राद्ध
4 अक्टूबर -गुरुवार दशमी श्राद्ध
5 अक्टूबर -शुक्रवार एकादशी श्राद्ध
6 अक्टूबर-शनिवार द्वादशी श्राद्ध
7 अक्टूबर -रविवार त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध
8 अक्टूबर – सोमवार सर्वपितृ अमावस्या, महालय अमावस्या