इन युवाओं ने शहर की नौकरी छोड़….इस तरह पहाड़ पर कायम की मिसाल…

पहाड़

पौड़ी: आज जिस तरह से सरकार गांवों के विकास के नाम पर तरह-तरह की योजनाएं बना रही है, वहीं उन योजनाओं को गांवों तक पहुँचते-पहुँचते इतना वक्त लग रहा है कि स्थिति ये है कि पहाड़ों के गांव दिन प्रतिदिन वीरान होते चले जा रहे है। इसी वजह से शहरो की आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

शहर से नौकरी छोड़ गांव में किया रोजगार शुरु…

वहीं, दिल्ली से नौकरी छोड़कर आए दो युवाओं ने पौड़ी के थली गांव में मिलकर पशुपालन का काम शुरु किया है। जिसका निरीक्षण पशुपालन विभाग के मंडलीय व जनपदीय अधिकारियों ने संयुक्त रूप से किया। जिसके बाद अपर निदेशक प्रेम कुमार ने बताया कि प्रदेश पशुपालन के क्षेत्र में बहुत पिछड़ा है। इस क्षेत्र में बहुत कम काम किया गया है।

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पहाड़ी क्षेत्रों के लोग मैदानी क्षेत्रों पर निर्भर…

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अधिक से अधिक काम करने की जरूरत है। पहाड़ अपनी अधिकतर जरूरतों के लिए मैदानी क्षेत्रों पर निर्भर है। लोगों के जरूरतों का सामान मैदानी क्षेत्रों से मंगवाया जा रहा है। साथ ही कहा कि पहाड़ में ही बकरी पालन, मुर्गी पालन व जरूरत की वस्तुओं के लिए छाटे-छोटे व्यवसायों से शुरूआत की जा सकती है।

पंकज और अशोक थपलियाल ने बिना किसी सरकारी सहायता…

अपर निदेशक प्रेम कुमार ने कहा कि काम की शुरूआत के समय बैंक की सहायता मिलने में काफी समस्या आती है। उन्होंने कहा कि पौड़ी के थली गांव में पंकज और अशोक थपलियाल ने बिना किसी सरकारी सहायता से मुर्गी पालन की शुरूआत कर दी है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में पशुपालन की योजनाओं से बकरी पालन और गाय पालन का कार्य भी शुरू किया जायेगा। जिसके लिए बैंक की ओर से भी आसानी से सहायता मिल सकती है।

शहरों से लोगों को लाना मुश्किल लेकिन…

वहीं ,अशोक थपलियात ने बताया कि आज के समय मे जो लोग पहाड़ को छोड़कर शहरों में बस गए हैं उनको वापस लाना सम्भव नहीं है, लेकिन जो लोग अभी भी गांव में निवास कर रहे हैं उनके बारे में सरकार को सोचना होगा। सरकार को सोचना होगा कि किस तरह से उन लोगों को रोजगार के साधन मुहैया कराए जाएं, नहीं तो पहाड़ को खाली होने से कोई नहीं रोक सकता।