फिर सुर्खियों में हरक सिंह 2022 का चुनाव नहीं लडेंगे | Nation One

देहरादूनः त्रिवेंद्र कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत फिर सुर्खियों में हैं. उन्होंने एलान किया है कि वह वर्ष 2022 में होने वाला अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. हालांकि, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह राजनीति से संन्यास नहीं ले रहे हैं. शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने अचानक अगला विधानसभा चुनाव न लड़ने की बात कही. रावत ने कहा कि इसकी जानकारी उन्होंने भाजपा प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार समेत वरिष्ठे नेताओं को दे दी है. दरअसल, सरकार ने हाल में उन्हें भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याचण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाकर श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल को यह‍ जिम्मेनदारी सौंप दी थी. उसके बाद से माना यह माना जा रहा है कि वह नाराज चल रहे हैं. उनकी छवि तेज तर्रार मंत्री के रूप में रही है.

हरक सिंह रावत के पास श्रम और सेवायोजन मंत्रालय भी है. भवन एवं अन्यक सन्निर्माण कर्मकार कल्याीण बोर्ड के अध्यक्ष पद पर अब तक वह ही काबिज थे. गढवाल दौरे के बाद वह गुरुवार को ही देहरादून पहुंचे. सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाये जाने पर उन्होंने कहा था कि इस मामले में वह मुख्यमंत्री से बात करेंगे लेकिन, अभी उनकी मुख्य्मंत्री से मुलाकात नहीं हो पाई है. मुख्यमंत्री गुरुवार शाम को दिल्ली से लौटे और शुक्रवार सुबह कुमाऊं मंडल के एक दिनी दौरे पर रवाना हो गए. हरक सिंह रावत के चुनाव न लडने के एलान को इस घटनाक्रम से जोडकर भी देखा जा रहा है. सूत्रों का यह भी कहना है कि, नौ नवंबर को उत्ततराखंड से राज्यासभा की एक सीट का चुनाव होना है, जिसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल गोयल प्रबल दावेदारों में हैं. ऐसे में उन्हें राज्यकसभा का टिकट मिलना भी मुश्किल है.

चर्चा यह भी है कि वह विधानसभा चुनाव में अपनी बहू अनुकृति गुसाईं को टिकट दिलाने की पैरवी करें, अब बात चाहे जो भी हो लेकिन, हरक सिंह फिर से सुर्खिैयों में है. वह हमेशा किसी न किसी कारण से सुर्खियों मे रहे. वर्ष 2016 में कांग्रेस की तत्कालीन हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत कर नौ अन्य विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होकर हरक सिंह रावत ने सरकार पर संकट ला दिया था इसके बाद वह वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पौडी गढवाल जिले की कोटद्वार विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्यातशी के रूप में मैदान में उतरे और जीत हासिल की. बीच में उनकी आम आदमी पार्टी में शामिल होने की अफवाह भी उड़ी थी.

आपको बता दें, साल 2019 में नवंबर में भी रुद्रप्रयाग में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा था कि अब वे चुनाव नहीं लड़ना चाहतें उनकी इच्छा है कि गांव में बसकर स्वरोजगार करें. इस दौरान उन्होंने कहा था कि ‘मैं अस्सी के दशक से चुनाव लड़ रहा हूं, अब लड़ने का मूड नहीं है. बार-बार विधायक और मंत्री बनने से अब इच्छा मर चुकी है. अभी तक मुख्यमंत्री न बनने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि यह तो किस्मत की बात हैं, यह मेरे हाथ में नहीं है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि उत्तराखंड सरकार की असली परीक्षा विधानसभा चुनाव 2022 में होगी.