रिसर्चः ढाई लाख लोगों का मारने वाली सुनामी का रहस्य पता लग गया

बेंगलुरू


वैज्ञानिकों ने वर्षों की रिसर्च के बाद यह पता लगा लिया कि 26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया के सुमात्रा में भूकंप के बाद आई सुनामी में हिमालय की अहम भूमिका रही है। यह भूकंप इतना भयावह थी कि ढाई लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिक एंड ओशन रिसर्च सहित वैज्ञानिकों का एक दल यह पता लगाना चाहता था कि इतने भयावह भूकंप और सुनामी की क्या वजह थी। उन्हें इसका जवाब मिला हिमालय। सुमात्रा में रिक्टर पैमाने पर 9.2 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र हिंद महासागर में 30 किलोमीटर की गहराई में था। इस स्थान पर भारत की टेक्टोनिक प्लेट आस्ट्रेलिया की टेक्टोनिक प्लेट की सीमा को छूती है। पिछले कई सौ वर्षों से हिमालय और तिब्बती पठार से कटने वाला तलछट गंगा और अन्य नदियों के जरिए हजारों किलोमीटर तक का सफर तय कर हिंद महासागर की तली में जाकर जमा हो जाता है। वैज्ञानिकों का मानना था कि ये तलछट प्लेटों के बॉर्डर पर भी इकट्टा हो जाता है जिसे सब्डक्शन जोन भी कहते हैं जो भयावह सुनामी का कारण बनती है। लेकिन इंडोनिशिया और हिंद महासागर के बीच की प्लेट के नमूनों की जांच से अलग ही कहानी बयां होती है। बेंगलुरू में जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च के लिए सुनामी भूविज्ञान के विशेषज्ञ सी.पी.राजेंद्रन ने कहा कि शोधकर्ताओं का कहना है कि सब्डक्शन जोन में तलछट का स्तर बढ़ने से सुनामी से होने वाली तबाही का स्तर भी बढ़ जाता है।

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