भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रमुख ऋण दरों में कमी की, आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए ऋणों के पुनर्भुगतान की अवधि तीन महीने बढ़ाई | Nation One
रिजर्व बैंक ने रेपो दर चार दशमलव चार प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत कर दी है। रिवर्स रेपो दर में भी कमी की गई है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज मुंबई में मीडिया को इसकी जानकारी दी।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि आज घोषित उपायों को मुख्य रूप से चार वर्गों में बांटा गया है। ये हैं – बाजार के कामकाज में सुधार लाना, आयात और निर्यात को बढ़ावा देना, ऋण सेवाओं और कार्यकारी पूंजी के मामले में राहत देकर आर्थिक दबाव को कम करना और राज्य सरकारों के वित्तीय संकट को कम करना।
अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी के प्रभावों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की दर ऋणात्मक हो जाएगी। शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान पहली छमाही में मुद्रा स्फीति की दर स्थिर रहेगी लेकिन दूसरी छमाही में कम होकर चार प्रतिशत हो सकती है।
रिजर्व बैंक ने कोविड-19 को देखते हुए ऋणों के भुगतान में और तीन महीनों की रियायत देने की घोषणा की है। रिजर्व बैंक ने आयात-निर्यात बैंक के लिए 15 हजार करोड रूपये की ऋण व्यवस्था की भी घोषणा की।
शक्तिकांत दास ने बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण निजी खपत में बहुत कमी आई है, जिससे निवेश कम हुआ है और आर्थिक गतिविधियों में मंदी की वजह से सरकार के राजस्व पर प्रतिकूल असर पडा है। दलहन के मूल्यों में बढोतरी के कारण मुद्रा स्फीति की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है जिस कारण आयात शुल्क की समीक्षा की आवश्यकता है।
कंपनियों को बैंकों से उनकी फंडिंग संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए बैंकों की ग्रुप एक्सपोजर सीमा को 25 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया गया है। बढ़ी हुई सीमा 30 जून, 2021 तक लागू रहेगी।