देश को गुलामी से आजादी दिलाने में उत्तराखंड के इन सपूतों की रही अहम भूमिका…
देहरादून : देश आज 72 वां स्वाधीनता दिवस मना रहा है। 70 साल पहले आज ही के दिन भारत गुलामी की बेड़ियों से मुक्त होकर स्वतंत्र राष्ट्र बना था। भारत को मिली यह आजादी कोई एक दिन का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके पीछे छुपा है कई दशकों का संघर्ष, लाखों लोगों की कुर्बानियां और देश के अनगिनत ज्ञात-अज्ञात वीरों की शहादत। जब बात कुर्बानी और शहादत की आती है तो आजादी में उत्तराखंड के सपूतों की भूमिका भी बेहद अहम रही है।
आज देश की आज़ादी की 71 वीं वर्षगांठ पर हम आपको बताने जा रहा है उत्तराखंड के उन जांबाजों की कहानी जिन्होंने देश की आजादी में अपना सब कुछ झौंक दिया था।
आंदोलनों में उत्तराखंड के वीरों ने…
स्वतंत्रता आंदोलन में गरम दल तथा नरम दल दोनों विचारधाराओं के आंदोलनों में उत्तराखंड के वीरों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित ‘आज़ाद हिन्द फौज’ में लगभग 2500 जांबाज सैनिक अकेले इस पर्वतीय भू-भाग के थे। जंग के मैदान में देवभूमि उत्तराखंड के वीर योद्धा गोरों के ‘दांत खट्टे’ करने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। आजाद हिंद फौज में शामिल लगभग 800 उत्तराखंडी वीरों ने अंग्रेज़ों से लोहा लेते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
चंद्र बोस को उत्तराखंड के वीरों से बेहद खास लगाव…
आजादी के मतवाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उत्तराखंड के वीरों से बेहद खास लगाव था। उत्तराखंड के वीरों पर वे इस कदर भरोसा करते थे कि उनकी अंगरक्षक बटालियन भी उत्तराखंडी ही थी, जिसके कमांडर मेजर देवसिंह दानू हुए थे।
इतना ही नहीं उन्होंने आजाद हिंद फौज में अहम पदों पर उत्तराखंडी वीरों को तैनात किया हुआ था। नेताजी के विश्वस्त उत्तराखंडी सपूतों में कुछ का जिक्र किया जाना प्रासंगिक होगा।
कैप्टन बुद्धि सिंह रावत– नेता जी के निजी सहायक।
पितृशरण रतूड़ी– कर्नल तथा सुभाष रेजीमेंट की पहली टुकड़ी के कमांडर।
सूबेदार चंद्रसिंह नेगी– सिंगापुर में ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल के कमांडर।
मेजर देवसिंह दानू– नेता जी की अंगरक्षक बटालियन के कमांडर।
इन वीरों के अलावा तमाम और भी वीर नेता जी की सेना में अहम पदों पर थे।
महानायक वीर चंद्रसिंह गढ़वाली का देश की आजादी में…
उत्तराखंड के महानायक वीर चंद्रसिंह गढ़वाली का देश की आजादी में योगदान जगजाहिर है। अंग्रेजी हुकूमत से बगावत कर चंद्रसिंह गढ़वाली के नेतृत्व में पहाड़ी फौजियों ने पेशावर में आजादी के लिए आंदोलन कर रहे लोगों पर गोलियां चलाने से इंकार कर दिया था। गढ़वाली की इस हिम्मत से महात्मा गांधी भी बेहद प्रभावित हुए थे।
लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह ने…
लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह ने 17 मार्च 1945 को अपने 14 जांबाज साथियों के साथ ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ते हुए देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर किये थे।
कालू मेहरा को उत्तराखंड का पहला…
उत्तराखंड के आजादी के परवानों में कालू मेहरा को उत्तराखंड का पहला स्वतंत्रता सेनानी होने का गौरव हासिल है। कहते हैं कि उन्होंने उत्तराखंड में आज़ादी की अलख जगाई थी। कालू मेहरा ने भरी मात्रा में सैन्य संगठन इकठ्ठा कर अंग्रेजों के खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाया था।
सन 1857 की लड़ाई में भी आगे थे उत्तराखंडी…
सन् 1857 की आजादी के पहले शंखनाद के दौरान भी उत्तराखंड की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने लोगों को धार्मिक और सामाजिक विसंगतियों को त्याग कर एकजुट करने के लिए उत्तराखंड से ही राष्ट्रीय चेतना यात्रा की शुरुआत की थी।
78 सत्याग्रहियों में उत्तराखंड के तीन सत्याग्रही…
महात्मा गाँधी के तमाम आंदोलनों में उत्तराखंड के निवासियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। नमक आंदोलन के दौरान महात्मा गाँधी की साबरमती से डांडी तक की यात्रा में उनके साथ जाने वाले 78 सत्याग्रहियों में उत्तराखंड के तीन सत्याग्रही ज्योतिराम कांडपाल,भैरव दत्त जोशी और खड्ग बहादुर भी शामिल थे।
त्तराखंड में जगह-जगह अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन…
साथ ही सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उत्तराखंड के 21 स्वतंत्रता सेनानी शहीद हुए तथा हजारों आंदोलनकारी गिरफ्तार किए गए। आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी और दमन के बाद उत्तराखंड में जगह-जगह अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन होने लगे। खुमाड़ (सल्ट) में आंदोलनकारियों पर हुई फायरिंग में दो सगे भाई गंगाराम और खीमदेव तथा बहादुर सिंह और चूडामणि शहीद हो गए थे।
आजादी के बाद भी जारी है कुर्वानियों का सिलसिला…
आज़ादी के 70 वर्ष बाद भी कुर्बानियों का ये सिलसिला जारी है। प्रदेश से हर वर्ष हज़ारों युवा भारतीय सेना में खुशी-खुशी देश सेवा के लिए भर्ती होते हैं। आज उत्तराखंड के जाबाज़ देश की हर पलटन में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इससे गौरव की बात और क्या होगी की आज देश की थल सेना के प्रमुख जनरल विपिन रावत उत्तराखंड के ही हैं। देश के सेना प्रमुख से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुख जैसे अहम् पदों पर आज उत्तराखंड के वीर नियुक्त हैं।