खबर का असर : होनहार हंसी की मदद को बढ़े कई हाथ, आएंगे अच्छे दिन | Nation One

नेशन वन की खबर का असर

 

देहरादूनः उत्तराखंड के कुमाऊं विश्वविद्यालय की होनहार और अंग्रेजी व राजनीति विज्ञान से डबल एमए करने वाली अल्मोड़ा की हंसी को अब भीख नहीं मांगनी पड़ेगी और ना ही सड़क पर जीवन बिताना पड़ेगा. उसके अब अच्छे दिन आऩे वाले हैं.

दरअसल, सोमवार को धर्मनगरी हरिद्वार में भीख मांगने की खबर छपते ही जैसे उसकी लाटरी निकल आई हो. हर तरफ से उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ने लगे. कुछ लोगों ने तत्काल आर्थिक मदद भी की. एसडीएम ने तो उन्हें तीन दिन के भीतर आवास दिलाने का आश्वासन दिया. नेशन वन ने उनकी खबर को प्रमुखता से छापा था. इसके बाद से प्रशासन हरकत में आया.

आपको बता दें, अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर क्षेत्र के हवालबाग ब्लॉक के रणखिला गांव की हंसी प्रहरी का जीवन काफी कष्टमय रहा. कुमाऊं विश्वविद्यालय में लाइब्रेरियन की चार साल नौकरी की. नौकरी छोड़ने के बाद जब वे दोबारा अच्छी जॉब की तलाश करने लगी तो नहीं मिली. इसी बीच वैवाहिक जीवन में भी कलह होने लगी.

इन दोनों कारणों से वह अवसाद में चली गई. उनके दो बच्चे हैं. बड़ी बेटी नानी के पास रहती है और छह साल का बेटा उनके साथ लेकिन, उसको पालने के लिए उनके पास कुछ नहीं रहा तो वह उसे लेकर धर्मनगर हरिद्वार में भिक्षावृत्ति करने लगी और उसी पैसे से लालन पालन कर उसे पढ़ाने लगी. उसकी इच्छा है कि, वह बड़ा होकर अफसर बने. बेटा अभी सरस्वती शिशु मंदिर मायापुरी में दूसरी कक्षा में पढ़ता है.

इधर, खबर छपने के बाद जब उसके संगी साथियों की नजर पड़ी तो वे सब चौंक गए. बैरागी कैंप निवासी शालिनी नगरकोटी नेहरू युवा केंद्र शालिनी कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा कैंपस की छात्रा रह चुकी हैं. वे हंसी से सीनियर थी. खबर देखकर शालिनी ने उनकी मदद करने की बात कही तो हंसी ने कहा कि, वह अल्मोड़ा की बात ही नहीं करना चाहती हैं. फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने अपनी कई बातें शालिनी से शेयर कीं.

बातें करते-करते दोनों पुरानी यादों में खो गईं और कालेज के दिन याद करने लगीं. इसी दौरान हंसी ने अपने प्रोफेसरों हामिद, नीता जोशी, हरी प्रिया पाठक और मंजूना बिष्ट को भी याद किया. बरखा रौतेला के बारे में बताया कि वह उनसे जूनियर थीं और उनसे नोटस लेकर ही पढ़ती थीं.

इस बीच, बिल्केश्वर की रहने वाली और मेडिकल की छात्रा समृद्धि ने पांच हजार की मदद करने की बात कही. हंसी ने पहले तो लेने से इन्कार कर दिया लेकिन, बाद में कुछ लोगों के समझाने पर पैसे रख लिए. प्रदेश की ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ की ब्रांड अंबेसडर मनु शिवपुरी भी उनके पास पहुंचीं और भरोसा दिलाया कि वह उनकी और उनके बेटे के रहने की व्यवस्था करेगी.

नौकरी के संबंध में जब हंसी ने असमर्थता जताई तो मनु ने उन्हें विश्वास दिलाया कि, वे जिस तरह का काम करना चाहेंगी उसी तरह का काम उपलब्ध कराया जाएगा. हंसी के सीनियर आयकर विभाग देहरादून में डिप्टी कमिश्नर के पद पर कार्यरत भुवन पांडे ने भी उनकी व्यक्तिगत मदद करने को कहा तो उन्होंने इन्कार करते हुए कहा कि, यह सरकार की जिम्मेदारी है.

सरकार को छत उपलब्ध करानी चाहिए.

राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा ने हंसी की दशा पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि, वह कभी सोच भी नहीं सकते थे कि हंसी जैसी लड़की एक दिन भीख मांगने को मजबूर होगी. उन्होंने बताया कि वह हंसी को सुरक्षित ठिकाना देने के लिए प्रदेश सरकार को पत्र लिखेंगे. वह हरिद्वार में रहने वाले अपने परिचितों से भी हंसी की मदद करने के लिए कहेंगे.

लड़ चुकी हैं विधानसभा का चुनाव

आपको फिर याद दिला दें, हंसी की राजनीति में भी अच्छी पकड़ रही है. वह कुमाऊं विश्वविद्यालय छात्रसंघ की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं. 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने के बाद हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने सोमेश्वर सीट से कांग्रेस के प्रदीप टम्टा और भाजपा के राजेश कुमार के खिलाफ ताल ठोंकी थी.

उस समय 53689 मतदाताओं वाली इस सीट पर हंसी समेत 11 प्रत्याशी मैदान में थे और 26572 मतदाताओं ने वोट डाले थे. उन्होंने इस चुनाव में 2650 वोट हासिल किए थे. कांग्रेस के प्रदीप टम्टा ने 9146 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी जबकि, भाजपा के राजेश कुमार 8263 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर थे.