हाईकोर्ट ने राज्य के सभी पीएचसी, सीएचसी और जिला अस्पताल को लेकर पूछे सवाल | Nation One
रिपोर्ट – ललित जोशी
नैनीताल : सरोवर नगरी उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य की बदहाल चिकित्सा प्रणाली को सुधारने के लिए राज्य सरकार को सभी 13 जिलों के अस्पतालों से 34 सवालों के जवाब लाने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खंडपीठ ने प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पतालों से 34 बिन्दुओं पर जवाब संबंधी विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
उत्तराखंड की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था पर चिंता प्रकट करते हुए खंडपीठ ने एक अहम् आदेश पारित किया गया है। जनहित याचिकाकर्ता शान्ति प्रसाद भट्ट द्वारा वर्ष 2013 में दायर की गयी जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने 25 सितंबर 2020 के अपने आदेश में, याचिकाकर्ता से कहा था कि वह उन प्रश्नों की सूची तैयार करे, जिससे प्रदेश के प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पतालों की वर्तमान स्थिति का आंकलन किया जा सके।
इसपर काम करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से एक विस्तृत शपथपत्र न्यायालय के समक्ष रखा गया, जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 31 प्रश्न, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 32 प्रश्न और जिला अस्पतालों पर 34 प्रश्नों की सूची तैयार की गयी थी।
इन प्रश्नों में इन केन्द्रों में मौजूद बिजली, पानी, डॉक्टर, नर्सों और दवाईयों की व्यवस्था से लेकर क्या इनमें कोई आपातकालीन सेवा का लाभ किसी सडक दुर्घटना इत्यादी के होने पर दिया जा सकता है, क्या वहाँ एक्स-रे मशीन और ऐसी बुनियादी चिकित्सा व्यवस्थाएं उप्लब्ध हैं। क्या वहाँ जंगली जानवर से हमला होने पर या उनके काटने पर इन्जेक्शन मौजूद है, इस तरीके के प्रश्नों को शुमार किया गया है।
इन सभी प्रश्नों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को सभी 13 जिलों के प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल से इनपर विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके लिए राज्य सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया गया है।
अब इस मामले की सुनवाई 10 नवंबर को होगी और सभी जरूरी सूचना, राज्य सरकर ने उच्च न्यायालय को अवगत करानी है। इस आदेश में उच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि दिव्यांग जनों को स्वास्थ केंद्र या अस्पताल आने के लिए क्या सुविधाएँ हैं, क्योंकि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कई जगह इन अस्पतालों में केवल सीढियों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।