किसानों ने दी चेतावनी, कहा – सरकार टालमटोल करती रही तो फिर से शुरू होगा आंदोलन | Nation One

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सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में देशभर के किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और विश्वासघात दिवस मनाया।

मोर्चा का आरोप है कि केंद्र सरकार ने किसानों को दिए गए एक भी आश्वासन और वादों को पूरा नहीं किया। इसलिए मोर्चा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम पत्र लिखा है और कहा है कि अगर सरकार टोलमटोल करती रही तो आंदोलन फिर से शुरू हो सकता है।

राष्ट्रपति को लिखे पत्र में मोर्चा ने कहा कि किसानों ने कृषि कानून समेत अन्य मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। जिसके बाद आपके हस्ताक्षर से इन कानूनों को रद्द किया गया। लेकिन अन्य मुद्दों के लिए मोर्चे की तरफ पीएम को पत्र लिखा गया।

जिसके बाद कृषि सचिव ने मोर्चे को पत्र लिखकर किसानों को कुछ मुद्दे पर आश्वासन दिए और आंदोलन ख़त्म करने का आग्रह किया। जिसके बाद किसानों ने पिछले साल 11 दिसंबर को आंदोलन वापस ले लिया।

आगे संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने पत्र में लिखा कि लेकिन किसानों के साथ धोखा हुआ और सरकार ने जो वादे किए थे वे पूरे नहीं हुए। इसलिए किसानों ने विश्वासघात दिवस मनाने का फैसला किया है। साथ ही चिट्ठी में सरकार के वादे और उसकी मौजूदा स्थिति का भी जिक्र किया गया है।

पत्र में लिखा गया कि केंद्र सरकार ने आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुक़दमे वापस लेने और राज्य सरकारों से भी मुक़दमे ख़त्म करने की अपील करने की बात कही थी। लेकिन कई राज्यों में अभी तक मुकदमे वापस नहीं लिए गए हैं और राज्यों को केंद्र सरकार की तरफ से चिट्ठी भी नहीं गई है।

इसी तरह आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसान के परिवारों को मुआवजा देने वाले वादे भी पूरे नहीं किए गए हैं। साथ ही पीएम मोदी ने एमएसपी पर कमेटी बनाने की घोषणा की थी लेकिन अभी तक कोई भी समिति नहीं बनाई गई है।

इसके अलावा लखीमपुर खीरी कांड में षड्यंत्र की बात स्वीकार करने के बावजूद भी इस कांड के प्रमुख षड्यंत्रकारी अजय मिश्र टेनी का केंद्रीय मंत्रिमंडल में बना रहना हर संवैधानिक और राजनीतिक मर्यादा के खिलाफ है।

दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश पुलिस इस घटना में नामजद किसानों को केसों में फंसाने और गिरफ्तार करने का काम लगातार कर रही है।

पत्र में यह भी लिखा गया कि महामहिम आप इस देश के मुखिया हैं। आपका संवैधानिक दायित्व है कि आप देश के सबसे बड़े वर्ग अन्नदाता के हितों की रक्षा करें और सरकार को इस धोखाधड़ी के विरुद्ध आगाह करें।

किसानों के अथक प्रयास से ही आर्थिक मंदी और लॉकडाउन के बावजूद भी देश का कृषि उत्पाद लगातार बढ़ा है। किसानों से खिलवाड़ करना पूरे देश के लिए आत्मघाती हो सकता है।

सरकार किसानों के धैर्य की परीक्षा लेना बंद करे और आप केंद्र सरकार को ये वादे याद दिलाएं। अगर सरकार अपने वादे से मुकरती है तो किसान दोबारा से आंदोलन करेंगे।