किसान और चीनी मिल को बाजार ने जोर का झटका दिया है। पखवाड़े भर में चीनी के दाम 4000 रुपये प्रति कुंतल से गिरकर 3300 रुपये प्रति कुंतल पर आ गए हैं। इसके चलते चीनी मिलों ने जहां किसानों का गन्ने का भुगतान धीमा कर दिया है, वहीं किसान इस बात को लेकर चिंतित है कि यदि यही स्थिति बनी रही तो चीनी मिलों को किसानों का गन्ने का भुगतान रोकने का मौका मिल जाएगा।
सात सौ रुपये का हो रहा नुकसान
पेराई सत्र शुरू होने के दौरान चीनी के दाम को देख किसान और चीनी मिल दोनों ही उत्साहित नजर आ रहे थे। यहीं वजह है कि इस बार चीनी मिलों की ओर से करीब महीने भर पहले ही गन्ने की पेराई शुरू कर दी गई। किसानों को भी चीनी के दामों को लेकर एक उम्मीद बनी हुई थी कि पिछले सालों की भांति इस साल उन्हें भुगतान के लिए धरना-प्रदर्शन और ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा, लेकिन एक पखवाड़े से चीनी के दामों में तेजी से गिरावट जारी है।
जो चीनी 15 नवंबर तक 4000 रुपये प्रति कुंतल की दर से बिक रही थी, अब उसके दाम घटकर 3300 रुपये प्रति कुंतल पर आ गए हैं। इकबालपुर चीनी मिल के महाप्रबंधक गन्ना पवन ढींगरा ने बताया कि एक कुंतल पर चीनी मिल को सात सौ रुपये का नुकसान हो रहा है, वहीं जनवरी आते-आते चीनी मिल को पेराई क्षमता से भी कम गन्ना मिलने से भी नुकसान हो रहा है। यदि चीनी के दाम नहीं बढ़े तो मिलों पर आर्थिक संकट आ जाएगा।
चीनी मिलों पर हुआ 201 करोड़ रुपये बकाया
नवंबर से लेकर अब तक चीनी मिलों पर किसानों का 201 करोड़ रुपये बकाया हो चला है। लिब्बरहेड़ी और लक्सर चीनी मिल पर किसानों का दिसंबर का पूरा भुगतान है। दिसंबर में ही मिलों को गन्ने की सबसे अधिक आपूर्ति हुई है। इसी तरह से इकबालपुर चीनी मिल ने 10 नवंबर 2017 तक का भुगतान दिया है। इस मिल पर 11 दिसंबर से लेकर 31 दिसंबर का ही भुगतान बकाया है। सहायक गन्ना आयुक्त आशीष कुमार नेगी ने बताया कि बकाया भुगतान के लिए लगातार चीनी मिलों पर दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन चीनी मिल खराब आर्थिक स्थिति का रोना रो रही है। हालांकि मिलों को सात जनवरी तक भुगतान करने की चेतावनी दे दी गई है।