मन का कैमरा क्लियर और पावरफुल हो, पढ़े पूरी खबर | Nation One
मन का पावरफुल कैमरा एक सेकेण्ड में स्पष्ट चित्र खींच लेता है। हम मन के पावरफुल कैमरा से भूतकाल और भविष्यकाल का स्पष्ट चित्र खींच सकते हैं। हमें अपने मन के कैमरे को इतना पावरफुल बनाना है कि जो बात और जो दृश्य जिस रूप में है वैसा ही चित्र दिखाई दे अर्थात जो है, जैसा है, वैसा ही स्पष्ट चित्र दिखाई दे। जब हम भूतकाल और वर्तमान काल की स्थिति को देखकर किसी समस्या का हल करेंगे, वह समस्या हमें समस्या नहीं बल्कि खेल नजर आयेगी।
हमें अपने मन के कैमरे की पावरफुल स्टेज को बनाकर चेक करना है जो चित्र लिया जा रहा है वह स्पष्ट है अथवा नहीं। इस विधि से अपने आटोमैटिक मन के पावरफुल कैमरे से चित्र लेते रहें और रात में क्लियर कराकर चित्र की चेकिंग करें, जो चीज जैसी है वैसा ही चित्र खींचा गया है अथवा चित्र लेते समय हाथ कुछ हिल-डुल गया है। इसके अलावा कैमरे की स्थिति ठीक न होने के कारण भी साफ चीज धंुधली आती है। मन का कैमरा पावरफुल और क्लियर न होने के कारण छोटी बात भी समस्या बन जाती है।
कैमरे के चित्र का मिलान वास्तविक स्थिति से करना चाहिए तथा सम्पूर्णता का लक्ष्य रखकर सम्पूर्णता के स्टेज पर पहुचना चाहिए। कैमरे की चित्र का मिलान अपनी आत्मिक स्थिति करके अपने अन्दर आत्मबल के कोर्स का फोर्स भरना है। सम्पूर्णता की स्टेज को सोलह गुण सम्पन्न कहते हैं। सोलह गुण सम्पन्न विशेषता का लक्ष्य रखकर अपने अन्दर विशेषता भरना है। जैसे किसी में रोते हुए व्यक्ति को हँसाने की विशेषता है, किसी में हाथ में सफाई रखने की विशेषता है तथा किसी में चमत्कारी बुद्धि रखने की विशेषता है।
सम्पूर्णता के स्टेज वाले व्यक्ति चाल-चलन, राॅयल होता है। इनके उठने-बैठने की कला, देखने की कला, चलने की कला में राॅयलपन हेाता है। निरन्तर चेकिंग के दौरान देखना की हमारे कर्म में जो आकर्षण शक्ति है, उसकी विशेता खत्म न होने पाये। जैसे हम कैसे चलते हैं, कैसे बोलते हैं, कैसे चीज उठाते हैं यह सब मिलकर हमारे चरित्र का निर्माण करते हैं। यह कला हमारे कमाई का साधन बन जाती है और दूसरों को आकर्षित करने के लिए चुम्बक की तरह कार्य करती है।
सम्पूर्णता की स्टेज सोलह कला सम्पन्न बनने का लक्ष्य आटोमैटिक रूप में अन्य गुणों को धारण करने का आधार बन जाता है। तब नवीन जीवन का निर्माण का अर्थ है, नवीन विश्व का निर्माण करना है। जहाँ सरलता निर्माण करने की भावना, निर्माणता होगी वहां अन्य गुण स्वतः आ जायेंगे। अतः सरलता के साथ निर्माण रखने की भावना की स्मृति रखकर हर संकल्प और कर्म करना चाहिए। इस महान उद्देश्य को सामने रखने से छोटी-छोटी बातें सामना करने के लिए नहीं आयेंगी।
हमारे महान उद्देश्य के बीच में अनेक व्यक्ति बाधा लेकर पेपर लेने आते हैं, इन्हें निर्दोष समझकर, इनके ऊपर रहम और तरस का भाव रखने से हम अनेक प्रकार के उलझन से बच जाते हैं। अतः दूसरे व्यक्ति को निर्दोष समझकर, उन पर रहम और तरस का भाव दिखाकर उनके कारणों का निवारण कर देना चाहिए। ऐसा समाधान प्रस्तुत करना चाहिए कि हम स्वयं भी संतुष्ट रहें और दूसरा व्यक्ति भी संतुष्ट रहे।
मनोज श्रीवास्वत, देहरादून