Sushant Singh Rajput Case : क्यों पड़ी CBI जांच की जरूरत ? | Nation One

नई दिल्ली| दिन-प्रतिदिन पेचीदा होते जा रहे अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में आखिर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच करने की मुहर लगा ही दी है। इस फैसले से सुशांत के परिवारवालों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। दो राज्यों (महाराष्ट्र और बिहार) के बीच मामला फंसने से लगने लगा था कि शायद ही यह मामला आगे बढ़ पाएगा पर, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से फिल्मी सितारों के साथ-साथ बिहार पुलिस के चेहरे पर भी खुशी है।

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आपको बता दें कि, सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जांच के दौरान पटना पुलिस ने कम समय में ही अहम सुबूत जुटा लिए थे। पटना पुलिस ने अपनी जांच में पाया था कि रिया चक्रवर्ती व सुशांत कि बीच अच्‍छे संबंध नहीं रहे थे। रिया ने आठ जून को सुशांत का घर छोड़ने के बाद से उनका नंबर भी ब्लॉक कर दिया था। इसके बावजूद वह सुशांत के करीबी लोगों से संपर्क में थी। वह सुशांत के कई स्‍टाफ के अलावा सुशांत के फ्लैट में साथ रहने वाले सिद्धार्थ पिठानी के भी संपर्क में थी। सिद्धार्थ से वह फोन कॉल की बजाय वाट्सऐप कॉल पर बातचीत करती थी।

इस दौरान उसने मुंबई के बांद्रा के डीसीपी से भी कई बार बातचीत की। उन लोगों में क्या बातचीत हुई, यह अलग मुद्दा है लेकिन, इस मामले में सीबीआइ जांच की जरूरत क्यों पड़ी और किन मामलों में ऐसी जांच की आवश्यकता होती है तो आइये हम बताते हैं। इसके लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि सीबीआइ क्या है। इसकी क्या कार्यप्रणाली है।

CBI यानी केंद्रीय अनुवेष्ण ब्यूरो- 

वर्ष 1946 का यह अधिनियम सीबीआई के कार्य एवं शक्तियों को संचालित करता है। छह खंडों वाला एक बहुत छोटा सा कानून है। यह एजेंसी को केवल उन अपराधों की जांच करने की अनुमति देता है जो केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित हैं।

यह एजेंसी, किसी राज्य की सरकार की सहमति के बिना किसी भी क्षेत्र में अपनी शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का उपयोग नहीं कर सकती है अर्थात यदि किसी राज्य में किसी मामले में उसे जांच करनी है तो उसे सम्बंधित राज्य सरकार की विशिष्ट अथवा सामान्य स्वीकृति की आवश्यकता होगी।

वो कौन से मामले जिनकी सीबीआई करती है जांच-

सीबीआई एक मामले में जांच करने के लिए तभी सामने आती है जब संबंधित राज्य सरकार, जहाँ अपराध की जांच होनी है, अपने इस आशय का अनुरोध करती है कि किसी मामले में जांच की जाए और केंद्र सरकार इससे सहमत होती है (केंद्र सरकार आमतौर पर राज्य के अनुरोध पर निर्णय लेने से पहले सीबीआई की टिप्पणी की मांग करती है)।

राज्य सरकार डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के तहत सहमति की अधिसूचना जारी करती है और केंद्र सरकार डीएसपीई अधिनियम की धारा 5 के तहत अधिसूचना जारी करती है। सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय सीबीआई को इस तरह की जाँच करने का आदेश देता हैं। कहने का अभिप्राय केवल यह है कि आर्थिक और विशेष अपराधों की सामान्य और नियमित प्रकृति के लिए सीबीआई से संपर्क नहीं किया जाना चाहिए।

सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति की तभी आवश्यकता होती है जब डीएसपीई अधिनियम की धारा 2 के अनुसार, वह केवल केंद्र शासित प्रदेशों में धारा 3 में अधिसूचित अपराधों की जांच कर सकती है। किसी राज्य की सीमाओं में सीबीआई द्वारा जांच करने के लिए डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के अनुसार सीबीआई जांच हेतु उस राज्य की पूर्व सहमति की आवश्यकता होती है। मसलन, अधिनियम की धारा 5 के तहत, केंद्र सरकार निर्दिष्ट अपराधों की जांच के लिए सीबीआई की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र को राज्य के क्षेत्रों तक बढ़ा सकती है।

सुशांत सिंह की मौत के मामले में बिहार सरकार को तभी सीबीआई जांच की सिफारिश करनी पड़ी जब महाराष्ट्र पुलिस व प्रशासन ने सहयोग नहीं किया। इसी के मद्देनजर इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। अक्टूबर 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव संभावित हैं। ऐसे में यही माना जा रहा है कि, सीबीआई जल्द से जल्द इस मामले की जांच पूरी कर लेगी।