सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानून लागू करने पर लगाई रोक, पढ़ें पूरी खबर | Nation One
नए कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसान संगठन करीब डेढ़ महीने से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार और किसानों के बीच लंबे वक्त से चल रही बातचीत के बावजूद कोई हल नहीं निकलने पर सर्वोच्च न्यायालय ने कानूनों के अमल पर रोक लगा दी।
यह रोक अगले आदेशों तक जारी रहेगी। इसके अलावा किसानों व सरकार के बीच गतिरोध खत्म करने के लिए बातचीत को लेकर कोर्ट ने समिति गठित करने का फैसला किया है। समिति के सदस्य नियुक्त करने से पहले अदालत ने सरकार से विशेषज्ञों के नाम सुझाने को कहा है।
चीफ जस्टिस ने अपनी तरफ से जाने माने कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, भारतीय किसान यूनियन के एक धड़े के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, साउथ एशिया इंटरनेशनल फूड पॉलिसी संस्था के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी और शेतकारी संगठन के अनिल घनवत को समिति के सदस्यों के रूप में मनोनीत किया।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम किसानों के हितों की रक्षा करेंगे, किसानों की जमीन बिकने नहीं देंगे। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने कहा कि-हम अंतरिम आदेश पारित करेंगे। दोनो पक्षों की तरफ से पूरी सुनवाई के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है।
इससे पहले सोमवार को चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान संकेत दिया था कि वह कृषि कानूनों और किसानों के आन्दोलन से संबंधित मुद्दों पर अलग-अलग हिस्सों में आदेश पारित कर सकती है।
’पीठ ने सोमवार को तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ ही किसानों के आन्दोलन के दौरान नागरिकों के निर्बाध रूप से आवागमन के अधिकार के मुद्दे उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के साथ बातचीत का अभी तक कोई हल नहीं निकलने पर केन्द्र को आड़े हाथ लिया था और सारी स्थिति पर घोर निराशा व्यक्त की थी। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी संकेत दिया था कि वह किसी पूर्व चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर सकता है जिसमें देश की सभी किसान यूनियनों के प्र्रतिनिधियों को भी शामिल किया जा सकता है।